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टिप्पणियाँ
प्रोत्साहन मिला है। पटना, तिरहुत, उड़ीसा और छोटा नागपुर डिवीजनोंमें मोटियाकी कताई और बुनाई बहुत सफलतापूर्वक चल रही है। देशी करघोंपर तैयार किये गये मोटे कपड़ेका चलन बढ़ गया है, यह साफ जाहिर है।. . .नवादा में सरकी बुनाई और औरंगाबादमें दरियों वगैरहकी बुनाईका धन्धा बराबर तरक्की कर रहा है।

इस उद्धरणसे जाहिर होता है कि बिहार में रचनात्मक कार्य उत्तरोत्तर आगे बढ़ रहा है। तीन साल पहले वहाँ एक भी चरखा या घरके कते सूतसे तैयार एक गज खद्दर भी मुश्किलसे दिखाई देता था। बिहारकी गरीब जनता ही यह जानती है कि चरखा उसके लिए कैसा वरदान सिद्ध हुआ है।

विधान परिषद् के एक सदस्यका इस्तीफा

खीरीके एक वकील श्रीयुत सीतारामने संयुक्त प्रान्त विधान परिषद्की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, और मेरे पास उसकी एक नकल भेजी है। इस्तीफेका मजमून इस प्रकार है :

बहुत ही खेदके साथ में संयुक्त प्रान्त विधान परिषद्‌को अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूँ। सुधारोंकी घोषणाके बाद ही मैंने पहली बार परिषद्का चुनाव लड़ा था। मेरा यह विश्वास था कि सुधारोंके बादको सरकार सुधारोंके पहलेको सरकारसे भिन्न होगी; आतंक और डायरशाहीका शासन अतीतकी एक घटना बन जायेगी और अब इस देशमें अनुचित और अकारण दमन नहीं होगा, बल्कि केवल अपराधी व्यक्तियोंको ही दण्ड दिया जाया करेगा; और परिषदों में निर्वाचित होकर लोग देशकी सच्ची सेवा कर सकेंगे। परन्तु एक साल के अनुभवने मेरी तमाम आशाओंपर पानी फर दिया है। मैंने देखा है कि परिषद् में दूसरोंके प्रति सम्मान और सद्भावना तो कम, गर्व और अकड़ ही अधिक है। वर्गीय और साम्प्रदायिक स्वार्थ अब भी पूर्ववत् बना हुआ है। मेरे अपने जिलेके अनुभवसे मुझे यह यकीन हो गया है कि शासनतन्त्रमें डायरशाही के लिए अब भी जगह है। . . . राज्यके विशेष प्रबन्धक श्री यंगने ऐसी हरकतें की हैं, जिनसे शान्ति भंग हो सकती है, और वे राज्यकी सारी आबादीपर जुल्म ढा रहे हैं, पर सरकारने इस मामलेमें इन्साफके लिए कुछ नहीं किया। पण्डित हरकरणनाथ मिश्रको, जो लोगों में अहिंसाका प्रचार कर रहे थे और रैयतको यह समझा रहे थे कि वे जमींदारोंको अपना लगान अदा कर दें और आज की परिस्थितियोंको देखते हुए सविनय अवज्ञा शुरू न करें, तीन सालकी कैदको सजा दे दी गई है। हालमें भारत-भरमें और खासकर इस प्रान्तमें जो गिरफ्तारियाँ हुई हैं, उनसे मुझे यह विश्वास हो गया है कि सरकारने यह नीति निश्चित कर ली है कि जो भी व्यक्ति भारतके लिए सच्चा स्वशासन चाहता है उसे बन्द कर दिया जाये। दुःखके साथ कहना पड़ता है कि अपनी