पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/७०

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
उनके पहननेवाले उसी खयालके हैं। इस वजह से इस टोपीका पहनना नामुनासिब है। इस निषेधमें दूसरी किसी किस्मकी टोपियाँ शामिल नहीं हैं—फिर चाहे वे खादीकी हो चाहे और किसी कपड़ेकी।

बेचारी सीधी-सादी और सस्ती खादीकी टोपीके खिलाफ इस खामख्वाहकी बदगुमानीपर मुझे अफसोस है। मैं ग्वालियर के हाकिमोंको यह बता देना चाहता हूँ कि यद्यपि यह सच है कि बहुतेरे असहयोगी लोग "गांधी टोपी" नामसे प्रसिद्ध टोपी पहनते हैं, पर हजारों आदमी ऐसे हैं जो उसे केवल सुविधाजनक और सस्ती होनेके कारण पहनते हैं; और असहयोगसे उनका उतना ही सम्बन्ध है जितना कि खुद पेशी अफसर महोदयका।

कुछ और लिखित समाचारपत्र

लगता है लिखित समाचारपत्रोंकी संख्यामें असम हर प्रान्तसे बाजी मार ले जायेगा। गोलाघाटसे अब असमियामें एक लिखित साप्ताहिक शुरू हुआ है। इसमें आम समाचार और बड़े जोरदार सम्पादकीय स्तम्भ रहते हैं। मेरे पास उसका तीसरा अंक अनुवाद करके भेजा गया है। इसका नाम 'वन्देमातरम्' है। आजादीकी हमारी इच्छापर किसी आंग्ल-भारतीयने यह फब्ती कसी थी कि आजादीकी इच्छा तो शेरों और चोरों तक में होती है। सम्पादक अपनी टिप्पणियों में इसकी आलोचना करते हुए कहते हैं :

हम नहीं चाहते कि दूसरे लोग हमें आजादीका अर्थ सिखायें। हिन्दुस्तानका आग्रह है कि वह अपने घरका आप मालिक बन जाये। वह आजादीका पाठ पढ़नेवाला महज एक विद्यार्थी नहीं बनना चाहता। इस नौकरशाही व्यवस्थाके अधीन वह काफी अरसेसे धोखा तक खाता रहा है। लेकिन अब उसे होश आ गया है और उसकी आँखें खुल गई हैं।

इस साप्ताहिकके सम्पादक और व्यवस्थापकसे भी मैं वही आशा रखता हूँ, जो दूसरे लिखित समाचारपत्रों के सिलसिले में व्यक्त की जा चुकी हैं। अर्थात् वे सचाईका खूब कड़ाई से पालन करेंगे और इस नये उपक्रम में हिंसात्मक या उत्तेजनात्मक भाषाका प्रयोग कदापि न होने देंगे।

"आपत्तिजनक" तार

दमनकी खबरोंवाले तारोंको आपत्तिजनक बताकर अस्वीकार कर देना आजकल एक फैशन-सा हो गया है। यहाँ एक ऐसा ही तार है, जो सिन्ध प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के मन्त्री द्वारा २२ फरवरीको हैदराबादसे भेजा गया था :

सिन्ध में दमन तेजी से चालू है। सहीती जिलेमें जहाँ धारा १०८का बेधड़क प्रयोग किया गया है, श्री गोविन्दरामको एक वर्ष कठोर कारावासका दण्ड दिया गया है और जिला कांग्रेस कमेटीके प्रधान तथा 'शक्ति' पत्रके सम्पादक श्री खेमचन्दपर मुकदमा चलनेवाला है। सिन्ध प्रान्तके प्रचारक श्री