पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/५८८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५५०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वाली पुलिस माना है। शासनतन्त्र अथवा विरोधी, 'प्रेमी' की संज्ञा कदापि नहीं पा सकते। वह दर्जा तो वाइकोमके सत्याग्रहियों के समर्थकों को दिया गया है। सत्याग्रहीके अनशनके साथ दो शर्तें जुड़ी हुई हैं। वह प्रेमीके विरुद्ध और उसके सुधारके लिए होना चाहिए, उससे अधिकार ऐंठने के लिए नहीं। वाइकोम सत्याग्रहमें अनशन एक ही स्थिति में उचित हो सकता है और वह स्थिति है जब उसके स्थानीय समर्थक कष्ट-सहनके अपने वचनसे मुकर जायें। मैं अपने पिताको किसी व्यसनसे मुक्त करनेके लिए उनके विरुद्ध अनशन शुरू कर सकता हूँ। किन्तु मुझे उनसे पैतृक सम्पत्ति पानेके लिए अनशन नहीं करना चाहिए। हमारे देशमें भिखारी कभी-कभी उन लोगोंके विरुद्ध अनशन शुरू कर देते हैं जो उन्हें मुँह-माँगा नहीं देते, और इसी तरह अच्छी पोशाकके लिए बच्चे भी माता-पितासे नाराज होकर खाना-पीना छोड़ देते हैं। ये दोनों ही सत्याग्रही नहीं हुए। ऐसे भिखारियोंको उद्धत और बच्चोंको नादान कहना चाहिए। मेरा बारडोलीका अनशन उन साथी कार्यकर्त्ताओंके विरुद्ध था, जिन्होंने चौरीचौरामें आग लगाई थी। उसका उद्देश्य उनका सुधार करना था। यदि वाइकोमके सत्याग्रही इसलिए अनशन करते हैं कि अधिकारी उन्हें गिरफ्तार नहीं करना चाहते तो मुझे बड़े अदब के साथ यह कहना पड़ेगा कि वह अनशन ऊपर वर्णित किसी भिखारीके अनशनके समान होगा। यदि उसका प्रभाव पड़े तो उससे अधिकारियोंकी अच्छाई सिद्ध होगी, ध्येयकी अथवा कार्यकर्त्ताओं की नहीं। सत्याग्रहीकी पहली चिन्ता उसके कार्यके प्रभावके बारेमें नहीं बल्कि हमेशा उसके औचित्य के विषयमें होनी चाहिए। उसे अपने ध्येय और अपने साधनोंमें निष्ठा होनी चाहिए, और मनमें विश्वास रखना चाहिए कि अन्त में उसे सफलता अवश्य मिलेगी।

पत्र लिखनेवालोंमें से कुछने तो रजवाड़ोंमें सत्याग्रह करनेके विरुद्ध ही आपत्ति की है। मैं इस मामले में भी श्री जोजेफको लिखे गये अपने पहले पत्रका शेष अंश उद्धृत कर दूँ :

तुम्हें धीरज रखना चाहिए। तुम एक देशी राज्यके निवासी हो, इसलिए तुम कोई शिष्टमण्डल लेकर दीवान या महाराजासे मिल सकते हो। तुम ऐसे सनातनी हिन्दुओं द्वारा, जो आन्दोलनके प्रति सहानुभूति रखते हों, एक जबरदस्त आवेदनपत्र तैयार कराओ। जो लोग इस आन्दोलनका विरोध कर रहे हैं, उनसे भी मिलो। विनयपूर्ण सीधी कार्रवाईको तुम अनेक तरहसे बल पहुँचा सकते हो। प्रारम्भिक सत्याग्रह द्वारा तुम जनताका ध्यान आकृष्ट कर ही चुके हो। अब सबसे अधिक ध्यान इस बातका रखना है कि यह आन्दोलन यों ही ठंडा न पड़ जाये या यह अधैर्यके कारण हिंसात्मक न बन जाये।

मेरे खयालसे अपने उद्देश्यको प्राप्त करने के लिए कांग्रेसका किसी भी रजवाड़े में सत्याग्रह करना बिलकुल निषिद्ध है। किन्तु वहाँ भी स्थानीय बुराइयोंके विरुद्ध सत्याग्रहका किसी भी समय छेड़ा जाना उचित माना जा सकता है, बशर्तें कि अन्य आवश्यक शर्तें पहले पूरी कर ली गई हों। चूँकि रजवाड़ों में असहयोगका प्रश्न उठता ही नहीं है; इसलिए अर्जियाँ तथा शिष्टमण्डल भेजने के मार्गको न केवल सदा खुला हुआ ही