३३७. पत्र : न॰ चि॰ केलकरको
पोस्ट अन्धेरी
१३ अप्रैल, १९२४
आपका पत्र मिला। श्री शरीफ देवजी कानजीको मैंने पत्र[१] लिख दिया है। उन्होंने उसका जो उत्तर भेजा है उसमें विचारार्थ विषयोंके सम्बन्धमें आपत्ति उठाई गई है। श्री पोद्दारने भी ऐसा ही किया है। मैं तो केवल इतना ही कह सकता हूँ कि अगर आप विचारार्थ विषयोंको लिखकर मेरे पास भेज दें तो मैं उसे उनके सामने रख दूँगा और अगर वे कोई बात सुझायें तो उसे मैं आपके पास भेज दूँगा। मैंने श्री शरीफ देवजी कानजीको लिखा है कि वे मुझसे आगामी गुरुवारको मिलें।
हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी
'केसरी' तथा 'मराठा' कार्यालय
- अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन/॰ ८७२७) की फोटो-नकलसे।
३३८. भेंट : एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिसे
[अन्धेरी
१३ अप्रैल, १९२४]
त्रावणकोरके अधिकारियोंने वाइकोम सत्याग्रह आन्दोलनके अनेक नेताओंको गिरफ्तार कर लिया है जिससे यह आन्दोलन, निस्सन्देह, अब एक नाजुक दौर में पहुँच गया है। अखिल भारतीय स्तर के नेताओंसे अनुरोध किया गया है कि वे इस आन्दोलनका नेतृत्व हाथमें लें। यहाँ सवाल यह है कि किसी स्थानिक आन्दोलनके नाजुक अवस्था में पहुँच जानेपर उसे किस हदतक अखिल भारतीय आन्दोलनका रूप दिया जाये। इस आन्दोलनके प्रति समस्त भारतकी सहानुभूतिका होना भी मेरी समझमें आ सकता है और मुझे यह भी मालूम है कि वाइकोम सत्याग्रहियोंके प्रति सारे देशमें सहानुभूतिकी भावना उमड़ रही है, परन्तु देशके भिन्न-भिन्न प्रान्तोंके नेताओंकी
- ↑ देखिए "पत्र : शरीफ देवजी कानजीको", २०-३-१९२४।