इसी श्रेणीमें आता है। मैंने अनशन उन लोगोंको सुधारनेके लिए किया जो मेरे प्रति प्रेम रखते थे। परन्तु मैं जनरल डायर-जैसे किसी व्यक्तिको सुधारनेके लिए अनशन नहीं करूँगा। वे मेरे प्रति प्रेमभाव नहीं रखते; इतना ही नहीं, वे अपनेको मेरा शत्रु भी मानते हैं। बात तुम्हारी समझ में आ गई होगी? श्रीमती जोजेफका स्वास्थ्य कैसा है?
तुम्हें धीरज रखना चाहिए। तुम एक देशी राज्यके निवासी हो, इसलिए तुम कोई शिष्टमण्डल लेकर दीवान या महाराजासे मिल सकते हो। तुम ऐसे सनातनी हिन्दुओं द्वारा, जो आन्दोलन के प्रति सहानुभूति रखते हों, एक जबरदस्त आवेदन-पत्र तैयार कराओ। जो लोग इस आन्दोलनका विरोध कर रहे हैं, उनसे भी मिलो। विनयपूर्ण सीधी कार्रवाईको तुम अनेक तरहसे बल पहुँचा सकते हो। प्रारम्भिक सत्याग्रह द्वारा तुम जनताका ध्यान आकृष्ट कर ही चुके हो। अब सबसे अधिक ध्यान इस बातका रखना है कि यह आन्दोलन यों ही ठंडा न पड़ जाये या यह अर्थके कारण हिंसात्मक न बन जाये।
तुम्हारा,
बापू
- अंग्रेजी प्रति (सी॰ डब्ल्यू॰ ५१७४) से।
- सौजन्य : कृष्णदास
३३०. पत्र : डाक्टर चोइथराम गिडवानीको
पोस्ट अन्धेरी
१२ अप्रैल, १९२४
आपका लम्बा तार मिला। उसका उत्तर मैंने तार द्वारा नहीं भेजा है। आपके तारको पढ़कर अपने ढंगसे मैं दुःखी तो हुआ हूँ, परन्तु निराश नहीं। हममें से प्रत्येक व्यक्तिको अन्तत दृढ़ बने रहना है। आशा है, आप इस कसौटीपर खरे उतरेंगे । वहाँ जो कुछ हो रहा है, उसका समाचार देते रहिए। आपके तारसे प्रकट होता है कि आपका स्वास्थ्य अब ठीक है। क्या यह ठीक है? जयरामदासको लिखे पत्रके[१] उत्तरकी प्रतीक्षा मैं उत्सुकतासे कर रहा हूँ।
हृदयसे आपका,
हैदराबाद (सिन्ध)
- अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८७२०) से।
- ↑ देखिए "पत्र : जयरामदास दौलतरामको", ४-४-१९२४।