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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


(३) आन्दोलनके नेतामें अहिंसा के प्रति पूर्ण विश्वास नहीं है। यह त्रुटि सफलता के लिए घातक सिद्ध होगी। जो पुस्तिकाएँ आपने मुझे भेजी हैं उनमें से एकके अन्तिम पृष्ठपर कविताकी कुछ बहुत ही सुन्दर और बोधक पंक्तियाँ हैं जिनमें बताया गया है कि सच्चा धर्म क्या है।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

श्रीयुत वी॰ वी॰ दास्ताने

द्वारा कांग्रेस कमेटी

जलगाँव (खानदेश)
अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८६६३) की फोटो नकलसे।
 

२७४. पत्र : बदरुल हुसैनको

पोस्ट अन्धेरी
५ अप्रैल, १९२४

प्रिय बदरुल हुसैन,

तुम्हारा पत्र और सो भी स्वदेशी कागजपर लिखा हुआ पाकर बहुत प्रसन्नता हुई। तुमने तो मानो मुझे भुला ही दिया है, परन्तु जो लोग भी हैदराबादसे आये और जो तुमसे परिचित मालूम हुए मैंने उन सभीसे तुम्हारे बारेमें पूछताछ की है। तुम अपने स्वास्थ्य के बारेमें क्या कर रहे हो? नवयुवक वृद्ध पुरुषोंकी चाल क्यों अपनायें? इसलिए आशा करता हूँ कि तुम मुझसे बहुत पहले स्वस्थ हो जाओगे। जब स्वास्थ्य में सुधार हो जाये और लम्बी यात्रा कर सको तब जरूर आना।

हृदयसे तुम्हारा,

बदरुल हुसैन महोदय

आबिद मंजिल

हैदराबाद (दक्षिण)
अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६६४) से।