२०८. पत्र : गंगाधरराव देशपाण्डेको
पोस्ट अन्धेरी
२३ मार्च, १९२४
आज तड़के मैं यह सोच रहा था कि मजलीकी सहायता के लिए मैं क्या कर सकता हूँ। परिणामस्वरूप एक पत्र लिखा। पत्रकी एक प्रति आपके पास भेज रहा हूँ।[१]
हृदयसे आपका,
बेलगाँव
- अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८५६८) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१४३ से।
२०९. पत्र : मणिबहन पटेलको
सोमवार [२४ मार्च, १९२४ के पूर्व][२]
आज मणिलालने[३] खबर दी कि तुम्हारा बुखार तो चला गया, मगर अशक्ति है। और तुम डाक्टर कानूगाके यहाँ चली गई हो। मैं चाहता हूँ कि बापू और डाक्टर इजाजत दें तो यहाँ आ जाओ। आराम और शान्ति दोनों मिलेंगे। तुममें तो शक्ति तुरन्त आ ही जाएगी। इसलिए मैं तुमसे सेवा भी लूँगा। तुम्हें या बापूको यह भय हरगिज नहीं होना चाहिए कि मुझपर तुम्हारा भार पड़ेगा। बोझा पड़ेगा तो जमीन-पर, और जमीन काफी मजबूत है। तुम्हारे जैसी सौ बालिकाओंका बोझा तो वह आसानीसे उठा सकेगी। दूसरा बोझा रसोइयेपर होगा। रेवाशंकर भाईने रसोइया भी यहाँकी जमीनके जैसा ही मजबूत दिया है। तुम्हारे आनेसे मेरी चिन्ता दूर होगी, क्योंकि जो भी देश-सेवक और देश-सेविकाएँ दूर बैठे बीमार पड़ते हैं वे मेरी चिन्तामें वृद्धि करते हैं। वे सब मेरी नजरके सामने हों तो उस हदतक मेरी चिन्ता दूर हो जाये।