२००. पत्र : आर॰ पिगॉट और ए॰ एम॰ वार्डको
पोस्ट अन्धेरी
२२ मार्च, १९२४
- आपका दिनांक १६ का पत्र[१] मिला।
मुझे यह लिखते हुए बड़ी शर्म महसूस हो रही है कि आपने जिसका हवाला दिया है, उस मुलाकातकी बात मैं बिलकुल भूल गया हूँ। फिर भी मैं आपका पत्र अपने एक सिन्ध-निवासी मित्रके पास भेज रहा हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि यदि सम्भव होगा तो वे आपकी सहायता अवश्य करेंगे। यदि मैंने आपको सम्बोधित करनेमें कोई गलती कर दी हो, तो मुझे क्षमा करनेकी कृपा कीजिए। मैंने आपका पत्र श्री एन्ड्रयूजको दिखा दिया है। उन्हें बहुत अच्छी तरह याद है कि आपसे मुलाकात हुई थी, लेकिन वे आपके सम्बन्धमें कोई जानकारी मुझे नहीं दे सके।
हृदयसे आपका,
हैदराबाद (सिन्ध)
- अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८५६२) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१४० से।
२०१. पत्र : जयरामदास दौलतरामको
पोस्ट अन्धेरी
२२ मार्च, १९२४
मैं इसके साथ सिन्धसे आया हुआ एक पत्र नत्थी कर रहा हूँ। तुम शायद इन महिलाओं को जानते होगे। तुम स्वयं ही पत्रसे जान लोगे कि इन महिलाओंने मुझसे अनुरोध किया है कि मैं उनके कार्यकी ओर उन लोगोंका ध्यान आकर्षित करूँ जो काफी आर्थिक सहायता दे सकते हैं। मैं तुम्हें इस श्रेणीमें नहीं रखता, लेकिन मैंने यह पत्र तुम्हारे पास यह सोचकर भेजना तय किया कि यदि यह कार्य सचमुच ऐसा हो जिसमें सहायता दी जानी चाहिए, तो कमसे कम हमारी ओरसे तो उसकी उपेक्षा न हो। इसलिए मुझे लिख भेजो कि यह कार्य सचमुच है क्या और इसके बारेमें
- ↑ यह पत्र उपलब्ध नहीं है।