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पत्र : अब्बास तैयबजीको

जानता हूँ कि इंग्लैंड और फ्रांसमें इस प्रकारकी कार्यवाहियाँ होती हैं, फिर भी मैंने ऐसा करने में संकोच नहीं किया।

हृदयसे आपका,

श्री एन॰ एस॰ फड़के

अवैतनिक मन्त्री
बम्बई सन्तति-निग्रह संघ
गिरगांव

बम्बई
अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८५३८) की फोटो-नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१३० से।
 

१८८. पत्र : अब्बास तैयबजीको

पोस्ट अन्धेरी
२० मार्च, १९२४

प्रिय मित्र,

आशा है आपके पत्रके जवाब में लिखा मेरा पत्र[१] आपको मिल गया होगा। अब मुझे आपका दूसरा पत्र मिला है जिसका जवाब देना पहले पत्रसे भी ज्यादा कठिन है, क्योंकि यह कामकाजी पत्र है।[२]

पूर्ण स्वास्थ्य लाभ करनेसे पहले मुझे कोई कार्यक्रम नहीं बनाना चाहिए। इस सम्बन्ध में बहुत कुछ तो इस बातपर निर्भर करता है कि उस समय में कैसा महसूस करूँगा और देश में क्या स्थिति होगी। स्वास्थ्य लाभ कर लेनेपर मुझे पहले के किसी भी कार्यक्रमके बोझसे सर्वथा मुक्त रहना चाहिए और सामान्य उद्देश्यके हितकी दृष्टिसे भी यह उचित है। क्या आप इससे सहमत नहीं हैं? मुझे सर प्रभाशंकर पट्टणीपर[३] प्रभाव डालने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना मेरे लिए अपने क्षेत्र से बाहर जाना होगा और आखिरकार एक ऐसी परिषद् से क्या लाभ जिसके लिए एक अजनबीसे हस्तक्षेप कराकर अनुमति प्राप्त की जाये; परिषद् के उद्देश्योंके प्रति मुझे एक अजनबी ही समझना चाहिए। यह कहना कि सभा करनेके लिए राज्यके मुखियासे अनुमति लेनेकी जरूरत नहीं, उचित नहीं है। यह कहना भी ठीक नहीं कि सामान्यतया सभाएँ बिना अनुमतिके की जाती हैं क्योंकि इसका यह अर्थ नहीं है कि सम्बद्ध राज्यके मुखियाने दखल देनेका अपना हक छोड़ दिया है, या संयोजकोंको सभा करनेका पूर्ण अधिकार मिल गया है। इसलिए प्रस्तावित सभा के संयोजकोंसे मैं

  1. देखिए "पत्र : अब्बास तैयबजीको", १५-३-१९२४।
  2. इसमें एक राजनैतिक सभा के लिए दान इकट्ठा करनेके सम्बन्ध में विस्तार से लिखा गया था।
  3. सर प्रभाशंकर दलपतराम पट्टणी (१८६२-१९३७); भावनगर रियासत के दीवान।