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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

श्री फूकनने मुझसे कहा था कि वह अभियान असमियोंके लिए वरदान बनकर आया है, क्योंकि भारत के किसी भी अन्य भागकी अपेक्षा असमकी जनसंख्याका एक बहुत बड़ा भाग विविध रूपोंमें अफीमके व्यसनसे ग्रस्त है। श्री फूकनने कहा, इस आन्दोलनसे व्यापक सुधार हुआ है, और हजारोंने अफीमको कभी भी न छूनेकी प्रतिज्ञा ले ली है। मैं समझता था कि सरकारकी शराब-सम्बन्धी नीतिकी जो मैं बारम्बार घोर निन्दा करता आया हूँ उसके अन्तर्गत मादक पेयों और द्रव्योंके सम्बन्ध-में उसकी समूची नीतिकी निन्दा भी आ जाती है और इसलिए अफीम, गाँजा आदिकी अलग से निन्दा करने की आवश्यकता नहीं है। जो सेना बाहरी आक्रमणोंको रोकने के लिए नहीं, बल्कि ब्रिटेनकी खातिर किये जानेवाले भारतके शोषण से उत्पन्न असन्तोषको दबानेके लिए रखी गई है, यदि उस सेनाका अनिष्टकारी एवम् बढ़ता हुआ खर्च देशपर न पड़ता, तो अनैतिक साधनोंसे की गई ऐसी आमदनीकी कोई आवश्यकता न होती। जब श्री कैम्बेल यह कहते हैं कि भारत (यानी भारत सरकार) ने अफीम के प्रश्नपर पूरी नेकनीयती बरती है, तब वे आमदनी बढ़ाने के लिए ही चीनपर हथियारों के जोरसे अफीम लादे जानेकी बात स्पष्टतः भूल जाते हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २०-३-१९२४
 

१८२. पत्र : आर॰ एन॰ माण्डलकको

पोस्ट अन्धेरी
२० मार्च, १९२४

प्रिय श्री माण्डलिक,
आपका पत्र[१] मिला।

मैंने 'नवाकाल' नहीं देखा है। इसलिए मुझे अपनी कोई राय जाहिर नहीं करनी चाहिए। श्री खाडिलकरके लिए मेरे मनमें बड़ा आदर है। इसलिए उन्होंने जो कुछ लिखा है उसे जाने बिना और यदि उसे जाननेपर उससे सन्तोष न हो तो उसके बारेमें उनसे मिले बिना, उसपर मैं कोई राय नहीं दे सकता। इसलिए आपने जो प्रश्न उठाया है उसपर फिलहाल कोई राय न देनेके लिए आप कृपया मुझे क्षमा

  1. १९ मार्चको माण्डलिकने लिखा था कि खाडिलकरने नवाकालमें यह सुझाव दिया है कि यदि वाइसरायने विधान सभा द्वारा अस्वीकृत वित्त विधेयकको जारी किया तो मोतीलाल नेहरू और अन्य स्वराज्यवादी नेताओंको गांधीजीके नेतृत्वमें मार्चके अन्ततक असहयोग आन्दोलनके लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने गांधीजीसे पूछा था कि क्या सचमुच ऐसी बात है और क्या वे इस विचारसे सहमत हैं और विश्वास करते हैं कि ऐसा आन्दोलन सफल होगा?