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१५०. पत्र : अल्फ्रेड सी॰ मेयरको

पोस्ट अन्धेरी
१५ मार्च, १९२४

प्रिय मित्र,

आपका २-२-१९२४ का पत्र मिला।

मद्रास में इस समय एस॰ गणेशन् नामक पुस्तक-विक्रेताओंकी एक बहुत बड़ी फर्म है। ये लोग मेरे लेखोंका एक संकलन[१] बेचते हैं, जिसमें 'यंग इंडिया' नामक साप्ताहिक में प्रकाशित मेरे अधिकांश लेख आ गये हैं। इस पत्रका सम्पादन भी मैं ही करता हूँ। मेरे बारेमें आप जो भी जानकारी प्राप्त करना चाहेंगे, सम्भवतः वह सब आपको इस संकलन में मिल जायेगी।

हृदयसे आपका,

श्री अल्फ्रेड सी॰ मेयर

१८१, वाइन एवेन्यू
हाईलैंड पार्क

इलिनोस, अमेरिका
अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८४९६) की फोटो-नकलसे।
 

१५१. पत्र : वि॰ के॰ सालवेकरको

पोस्ट अन्धेरी
१५ मार्च, १९२४

प्रिय श्री सालवेकर,[२]

आपने लिखा है कि मैं चाहूँ तो आपके नासिक-स्थित बँगलेका उपयोग कर सकता हूँ। इस सौजन्यके लिए धन्यवाद। मैं जानता हूँ कि नासिककी आबोहवा बहुत स्वास्थ्यप्रद है, लेकिन इस समय मैं अन्धेरीके समीप समुद्र-तटपर एक सुरम्य विश्राम-गृहमें स्वास्थ्य लाभ कर रहा हूँ। अगर यह स्थान मुझे अनुकूल नहीं बैठा और मुझे

  1. तात्पर्य गांधीजी द्वारा १९१९-१९२२ और १९२२-१९२४ में यंग इंडिया में लिखे लेखोंके संग्रहोंसे है।
  2. विश्वनाथ केशव सालवेकर, बम्बईके सरदार गृह नामक एक होटलके मालिक; गांधीजीसे इनका परिचय लोकमान्य तिलकने करवाया था, जो यदा-कदा उस होटलमें भाकर ठहरा करते थे।