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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
मालतीमाधव
सिद्धान्तसार
पंचशती
गुलाबसिंह
श्रीवृत्तिप्रभाकर
चतुःसूत्री
भोजप्रबन्ध
विक्रमचरित्र
अनुभव–प्रदीपिका
वस्तुपाल–चरित्र
योगबिन्दु
कुमारपाल–चरित्र
विवादताण्डव
[गुजरातीसे]
अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८०३९) से।
 

. . . ९५. भेंट : वी॰ एस॰ श्रीनिवास शास्त्रीसे

[सैसून अस्पताल
पुना
१२ जनवरी, १९२४]

. . .कमरे में घुसनेपर हमने परस्पर अभिवादन किया और मैंने पूछा कि आपरेशनके बारेमें उनका क्या खयाल है। उन्होंने दृढ़तापूर्वक उत्तर दिया कि डाक्टरोंने निश्चित रूपसे एक फैसला कर लिया है और में उसीको मानने को तैयार हूँ। दूसरे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, जो डाक्टर मेरी देखरेख कर रहे हैं, मुझे उनपर पूरा भरोसा है। उन्होंने मेरे प्रति बहुत दयालुता और सावधानी दिखाई है। उन्होंने यह भी कहा, यदि इस बातको लेकर कोई आन्दोलन उठ खड़ा हो तो लोगोंसे कह दिया जाये कि मुझे अधिकारियोंसे कोई भी शिकायत नहीं है और जहाँतक मेरे शरीरकी देखभालका सम्बन्ध है, उनके व्यवहारमें कोई त्रुटि नहीं है। इसके बाद मैंने पूछा, क्या श्रीमती गांधीको आपकी इस हालतको खबर दे दी गई है? उन्होंने कहा, उन्हें [श्रीमती गांधीको] इस नये निर्णयकी बात मालूम नहीं है; किन्तु वे यह जानती हैं कि पिछले कुछ दिनोंसे मेरी तबीयत ठीक नहीं है। में उनके पत्रकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ। फिर उन्होंने मेरी पत्नी और भारत सेवक समाज (सर्वेट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी) के सदस्यों अर्थात् सर्वश्री देवधर, जोशी, पटवर्धन और कुँजरूकी कुशल-क्षेम पूछी।