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भेंट : जेलमें

'किसीके भी प्रति दुर्भाव रखना, किसीके बारेमें बुरा बोलना या बुरा सोचना या बुरा व्यवहार करना, ये सब समान रूपसे निषिद्ध हैं।'

—जे॰ बी॰ की 'अवरसेल्वज एन्ड दि यूनिवर्स' पुस्तकसे।

१५ दिसम्बर, शुक्रवार

जे॰ बी॰ की 'अवरसेल्वज ऐन्ड दि यूनिवर्स' समाप्त की।

१६ दिसम्बर, शनिवार

लिमन एबॉटकी 'व्हाट क्रिश्चियनिटी मीन्स टु मी' पढ़ना शुरू किया। बा आज आनेवाली थी परन्तु नहीं आई।

२१ दिसम्बर

मगनलाल आदि [के मिलने आने] पर बन्दिश लगाने के सम्बन्धमें कल मेजरको एक पत्र[१] लिखा। आज वार्नरको दिया।

२५ दिसम्बर

मूल गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ ८०३९ एम) से। व्हाट क्रिश्चियनिटी मीन्स टु मी' समाप्त की। अनसूयाबहनकी भेजी किशमिश और अंजीर खाये।

 

७१. भेंट : जेलमें

[२७ जनवरी, १९२३][२]

महात्मा गांधीका स्वास्थ्य बहुत अच्छा है। हमने जेलमें सुना था कि उनके स्वास्थ्य बिगड़ने और उन्हें विषाद रोग होनेकी कहानियाँ विदेशों में फैल रही हैं। उन्हें यह सुनकर पीड़ा हुई।

उन्होंने कहा, विषाद रोगका हो जाना तो मेरे लिए लज्जाकी बात होगी।[३] जिस सत्याग्रहीको जेल जानेपर उदासी आ घेरे, उसे जेल जानेकी या जेल जानेके लिए कोई कदम उठानेकी कतई जरूरत नहीं है। यदि उसे अपने देशको स्वतन्त्रता सबसे अधिक प्यारी है तो उसे जेलको अपना घर समझना चाहिए। उन्होंने आगे

  1. यह मोतीलाल नेहरू, हकीम अजमलखाँ तथा मगनलालको गांधीजीसे मिलनेकी अनुमति देनेके सम्बन्धमें जेल सुपरिटेंडेंट मेजर जोन्सको लिखा गया था। देखिए "पत्र : परवदा जेलके सुपरिटेंडेंटको", २०-१२-१९२२।
  2. कस्तूरबा गांधी, गांधीजीसे जेलमें २७ जनवरी, १९२३ को मिली थीं।
  3. १-२-१९२३ के यंग इंडिया में छपे एक संक्षिप्त समाचारमें कहा गया था : ". . .उन्होंने उत्तर दिया, जो मनुष्य मुझे जानता है वह इस बातकी कल्पना भी नहीं कर सकता कि मुझे कभी विषाद रोग भी हो सकता है। मुझे आश्चर्य है कि ऐसी अफवाहोंपर कोई जरा भी विश्वास कैसे कर सकता है।"