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टिप्पणीयाँ

अन्य व्यक्ति गिरफ्तार कर लिये गये, जिन्हें इस बीच स्वयंसेवकोंके रूपमें नाम लिखाने के अपराध में विभिन्न अवधियोंकी जेलकी सजा दे दी गई है। इसके बाद कुछ दिनका ठहराव आया जो ११ तारीखको उन ६७ स्वयंसेवकों की गिरफ्तारियोंसे टूटा जिनमें से अधिकांश आनन्द भवनकी[१] दीवारपर जनतासे इस आशयकी अपील लिखते हुए पकड़े गये थे कि वह युवराजके स्वागत समारोह में हिस्सा न ले। परन्तु, यह आक्रोश अपनी चरम सीमापर १३ तारीखको उस समय पहुँचा जब पूरी प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीको उसकी बैठकके दौरान पुलिसने घेर लिया और दो मन्त्रियों तथा अन्य दो व्यक्तियोंको छोड़कर बाकी सब लोगोंको हिरासत में ले लिया। कमेटीकी बैठक दिनमें एक बजे शुरू हुई थी और रातको ९ बजेतक चलती रही। कैदियों को ले जानेके लिए ६ मोटरगाड़ियाँ आई। पुलिस मि॰ फर्ग्युसन नामक एक डी॰ एस॰ पी॰के अधीन करीब साढ़े पाँच बजे कमेटीके भवन में घुसी और उसने सभी रास्ते रोक लिये। वह रातको ९ बजेतक दफ्तरकी तलाशी लेती रही। बैठक खत्म हो जानेपर, जब सदस्योंने डी॰ एस॰ पी॰से कहा कि वे जाना चाहते हैं तो डी॰ एस॰ पी॰ने सभामें जाकर कहा कि कार्रवाईका विवरण उसे दिखाया जाये, और उसमें उसने जब यह प्रस्ताव देखा जिसमें सभी जिला और तहसील कांग्रेस कमेटियोंसे स्वयंसेवक दल संगठित करनेकी सिफारिश की गई थी तो उसने घोषणा कर दी कि दण्डविधि संशोधन अधिनियम के अधीन अपराध किया गया है। उसके बाद उसने वहाँ मौजूद सभी लोगों से एक-एक करके यह पूछा कि क्या वे कमेटीके सदस्य हैं और क्या उन्होंने इस संकल्पका समर्थन किया था। जब सभी सदस्योंने इन प्रश्नोंका उत्तर 'हाँ 'में दिया, तो उसने पचपन सदस्योंको हिरासत में ले लिया जिनमें प्रान्तभरके सभी प्रमुख कार्यकर्त्ता शामिल थे।

तलाशी के दौरान मि॰ फर्ग्युसनने 'स्वराज्य' के सम्पादक बाबू शीतलासहायको इतने लात-घूंसे मारे और इतने प्रहार किये कि उनके शरीरसे खून बहने लगा। लेकिन उन्होंने बड़े धैर्यपूर्वक इन कष्टोंको सहन किया। इसी अधिकारीने अन्य अनेक लोगोंके साथ दुर्व्यवहार और धक्का-मुक्की की। सभीने अपने गुस्सेपर काबू रखा। तलाशी और गिरफ्तारियोंके लिए न तो कोई वारंट ही दिखाया गया और न पुलिस अफसरोंने तलाशी शुरू करने से पहले अपनी खानातलाशी दी। पुलिसने सभी कागजात, रिकार्ड और प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीकी मुहरें जब्त कर उनपर मुहरबन्द ताले लगा दिये हैं।

मेरे सामने यह बात स्पष्ट है कि कानून और शालीनताकी अवहेलनाकी ये कोई इक्का-दुक्का घटनाएँ नहीं हैं वरन् एक समझी-बूझी योजनाके अनुसार की जा रही

  1. मोतीलाल नेहरूका निवास-स्थान।