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३६. टिप्पणियाँ

१९ दिसम्बर, १९२१

रंगारंग खबरें

हफ्तेभर मेरे पास जिन चिट्ठियों, तारों और अखबारोंका ताँता बँधा रहा उनमें से कुछ चुनिन्दा नमूने लीजिए:

अभी दो मुसलमान कार्यकर्त्ता ऐसे जमींदारसे सिर फुड़वाकर लौटे हैं जिसे सरकारका समर्थन प्राप्त है।—सिन्ध।

स्वयंसेवक-संगठन अवैध घोषित। बिहार भरके प्रान्तीय, जिला और अन्य कांग्रेस-दफ्तरोंकी तलाशी। कागजात, बहियाँ, साइक्लोस्टाइल मशीनें, कांग्रेसकी मुहरें, स्वराज्यके झण्डे जब्त। प्रान्तीय कमेटी स्वयंसेवक दलमें भरती जारी रखनेको कृत-संकल्प। जनतामें उत्साह और प्रसन्नता।—बिहार।

आज (१७ दिसम्बर) हथियारबन्द पुलिसने असम महापुरुषिया सम्प्रदायकी धार्मिक संस्था 'शंकर हॉल' पर, जिसके एक हिस्सेमें बारपेटा कांग्रेस कमेटीका दफ्तर था, कब्जा कर लिया। यह कार्रवाई 'शंकर हॉल' के अधिकारियोंको सूचना दिये बिना की गई। पहरेपर तैनात पुलिसके सिपाही हॉलके भीतर बीड़ी-सिगरेट पी रहे हैं, जिसकी कड़ी मनाही है और वे इस प्रकार लोगों की धार्मिक भावनाओंको ठेस पहुँचा रहे हैं। कांग्रेसकी चीजोंको लापरवाहीसे इधर-उधर फेंककर पुलिसने उसे अपने रहनेका स्थान बना लिया है और इस प्रकार लोगोंको वे अपने धार्मिक कृत्य पूरे नहीं करने दे रहे हैं। लोग अब भी अहिंसाका पालन कर रहे हैं। काम बड़ी तेजीसे आगे बढ़ रहा है।—बारपेटा, असम।

पण्डित रामभजदत्त चौधरी, प्रोफेसर रुचिराम साहनी और लाला लाजपतरायके मकानों, कांग्रेस कमेटीके दफ्तरों, खिलाफतके दफ्तरों, सिराजुद्दीनके मकान और सरलादेवीके[१] प्रेसकी तलाशी। लाहौर और अमृतसरमें पुलिस द्वारा स्वयंसेवकों की बुरी तरह पिटाई। खबर है लाहौर सेन्ट्रल जेलमें कैदियोंको बेंत लगाये गये।

इन रँगारंग खबरोंके नमूने मैंने यह दिखाने के लिए प्रस्तुत किये हैं कि यदि हम इस प्रकारके बरतावसे बचकर निकल सकें तो स्वराज्य आसानीसे हमारी पकड़ में आ जायेगा। बच निकलनेका अर्थ यह है कि हम तैश खाये बिना बहादुरीसे उसका

  1. सरलादेवी चौधरानी, पण्डित रामभजदत्त चौधरीकी पत्नी और रवीन्द्रनाथ ठाकुरकी भानजी। सरलादेवी और उनके पति १९१९ में गांधीजीके अनुयायी बन गये थे।