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तार:जमनादास द्वारकादासको

संस्था भंग करनेकी अधिसूचना बिना शर्त वापस लेकर, सभाओंपर लगाई रोक उठाकर अपना कदम पीछे लेना चाहिए, बिना वारंट गिरफ्तार बन्दियोंको रिहा करके आंशिक रूपसे प्रायश्चित्त करना चाहिए। जिन कानूनोंको रद करनेका वादा किया गया था उनको लागू करना क्या कुटिलतापूर्ण नहीं? प्रकट, अप्रकट या जानबूझकर की जानेवाली हिंसाका वह दमन जरूर करे; पर हमें विचार-स्वातन्त्र्यके घोर निरकुंश दमनका विरोध प्राणोंकी बाजी लगाकर करना चाहिए।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७७३०) की फोटो-नकलसे।

३५. तार:जमनादास द्वारकादासको[१]

[२१ दिसम्बर, १९२१ या उसके पश्चात्]

आपको दिये वचनका पाबन्द रहूँगा। व्यक्तिगत तौरपर किसी भी सम्मेलनमें बिना शर्त आनेको तैयार हूँ। वाइसराय आपको गलत राह सुझा रहे हैं। ठोस शर्तें बताइए जिनका पालन होगा। दासको भेजे तारमें[२] उल्लिखित शर्तें पूरी हुए बिना अपनी ओरसे हड़ताल रद नहीं कर सकता।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७७५३) की फोटो-नकलसे।

  1. यह तार जमनादास द्वारकादासके २१ दिसम्बर, १९२१ के तारके उत्तर में भेजा गया था। तार इस प्रकार था: "आप अनुमान नहीं लगा सकते कि मेरे लिए यह कितना निराशाजनक रहा। निराशा व्यक्त करनेके लिए शब्द नहीं। बड़ी आशाएँ लेकर आया था पर देखा कि पण्डितजी और दासको बादमें भेजे गये अपने तारमें आपने लगभग उन सभी बातोंको रद कर दिया जो आपने मुझसे कही थीं। समझ में नहीं आया। विश्वास करता हूँ कि अभी समय है। आपसे प्रार्थना है कि देशके बड़े-बड़े हितोंके खयालले युद्ध-विरामकी अपीलको मान लीजिए। कमसे कम आप तो अधिक उदार दृष्टि- कोण अपना सकते हैं। आपकी सहमति होनेपर हम अब भी सम्मेलनकी व्यवस्था कर सकते हैं। देशकी जनता और आपके अनेकानेक अनुयायी भी ऐसा सम्मेलन चाहते हैं। कृपया विस्तारपूर्वक तार कीजिए।"
  2. १९ दिसम्बर, १९२१ को।