पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/८६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

३३. तार:महादेव देसाईको[१]

[२० दिसम्बर, १९२१ या उसके पश्चात्]

महादेव देसाई

आनन्द भवन

इलाहाबाद

शाबाश, प्रतिलिपियाँ तैयार करनेवाले जितने भी स्वयंसेवक मिल सकें भरती करो। रोनियोपर[२] प्रतियाँ तैयार कराओ। संक्षिप्तसे-संक्षिप्त समाचार और जानकारीवर्द्धक लेख दो। पत्रकी बिक्रीके लिए रोज काम करनेवाले स्वयंसेवक बनाओ।

बापू

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७७४८) की फोटो नकलसे।

३४. तार:श्यामसुन्दर चक्रवर्तीको[३]

[२१ दिसम्बर, १९२१ या उसके पश्चात्]

मेरी राय में या तो असहयोगके स्थगनके बिना ही सम्मेलन हो या फिर यदि युद्ध-विराम-सन्धि होनी हो तो सम्मेलनकी मुख्य शर्तों, उसके गठन इत्यादिके बारेमें पहलेसे फैसला हो जाना चाहिए। हम उग्र सविनय अवज्ञा नहीं कर रहे हैं। इसलिए यदि सरकारका मंशा सचमुच नेक है तो उसे

  1. यह तार महादेव देसाईके २० दिसम्बर, १९२१ के इस तारके जवाबमें भेजा गया था: "आज सुबह जमानत जब्त। जारी किये गये नोटिसमें कहा गया है कि श्रीमती मोतीलाल नेहरूका सन्देश" और "हम भी इसको कर देखें" शीर्षक लेखोंमें ऐसे शब्द हैं जो कानून और व्यवस्था बनाये रखने में बाधा डालते हैं। दूसरा नोटिस यंग इंडिया'को तार द्वारा भेज दिया कि कलसे हस्तलिखित पत्रिका निकालनेका इरादा है। विस्तृत निर्देश तार द्वारा दीजिए, पद्यपि हर घंटे गिरफ्तारीका इन्तज़ार है।"
  2. इस्तलिखित इंडिपेंडेंट निकालनेके लिए रोनियो मशीन; देखिए "टिप्पणियों", २२-१२-१९२१ का उप-शीर्षक "इंडिपेंडेंटका दमन"।
  3. यह तार चक्रवर्तीके २० दिसम्बर, १९२१ के तारके उत्तर में भेजा गया था जो गांधीजीको २१ दिसम्बरको मिला था। तार इस प्रकार था: "बंगाल प्रस्तावित परिषद् द्वारा प्रस्तुत वार्त्ताके अवसरके उपयोगके पक्ष में। वास्तविक युद्ध विरामका आश्वासन देना ही पर्याप्त माना जा रहा है। जिन रिहाइयोंका सुझाव आपने रखा है उनकी उम्मीद परिषद्को बैठकसे ठीक पहले की जा सकती है। तार द्वारा तुरन्त परामर्श दीजिए।"