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३१. वक्तव्य: गोलमेज परिषद् के सम्बन्ध में

[२० दिसम्बर, १९२१][१]

लॉर्ड रोनाल्डशे द्वारा पिछले सोमवारको बंगाल विधान परिषद् में दिये गये भाषणके सम्बन्धमें श्री गांधीने कल रातको अपने आश्रम में एसोसिएटेड प्रेसके संवाददाताको निम्नलिखित वक्तव्य दिया:

लॉर्ड रोनाल्डशेने बंगाल विधान परिषद् में जो भाषण दिया है उसे मैंने पढ़ा। उसमें मेल-मिलापकी जो ध्वनि है उसकी मैं कद्र करता हूँ। परन्तु मैं यह कहे बिना नहीं रह सकता कि भाषण नितान्त भ्रामक है। उनके भाषण के जो अंश आलोचनाके योग्य हैं उनपर में यहाँ टीका-टिप्पणी नहीं करूँगा। मैं तो सिर्फ यह कह देना चाहता हूँ कि वर्तमान स्थिति खुद लॉर्ड रोनाल्डशे तथा वाइसरायकी पैदा की हुई है। यद्यपि मैं हृदयसे चाहता हूँ कि मैं भारत सरकार तथा प्रान्तीय सरकारोंपर ऐसा सन्देह न करूँ कि वे जनता के साथ संघर्षको आमन्त्रण देना चाहते हैं, परन्तु अबतक मैंने जो कुछ पढ़ा और सुना है उससे मैं इस नतीजेपर पहुँचा हूँ कि मेरा सन्देह उचित है। यद्यपि मैं इस बात से इनकार नहीं करना चाहता कि व्यक्तिगत तौरपर कुछ लोग थोड़ा-बहुत दबाव डालते होंगे बल्कि डराते-धमकाते भी होंगे; परन्तु मैं ऐसा माननेसे साफ इनकार करता हूँ कि १७ नवम्बरको उस जबरदस्त हड़तालके दिन कलकत्ते में वहाँकी स्थानीय कांग्रेस या खिलाफत समितियों द्वारा अथवा उनकी तरफसे किसी भी प्रकारसे डराने-धमकाने की तैयारी की गई और लोगोंको डराया धमकाया गया। इसके विपरीत, मेरा निश्चित मत है कि इन दोनों संस्थाओंने अपने प्रभावका उपयोग इस ढंगसे किया जिससे लोग डराने-धमकाने का तरीका काममें न ला सकें। नैतिक दबाव अवश्य डाला गया था। और सभी महान् आन्दोलनोंमें ऐसा दबाव डाला ही जायेगा। लेकिन यह बात तो साधारण बुद्धि रखनेवाले की भी समझमें आ जानी चाहिए कि ऐसी सोलहों आने हड़ताल—जैसी कि १७ नवम्बरको कलकत्तेमें हुई थी—महज डराने-धमकाने से होनी असम्भव है। पर मान लीजिए कि डराने-धमकाने के तरीकेसे काम लिया गया था। लेकिन तब भी क्या स्वयंसेवक दलोंको भंग कर देने, सार्वजनिक सभाओं पर रोक लगा देनेका और जिन कानूनों को रद करनेका वादा किया जा चुका है, उन्हें लागू करनेका कोई औचित्य था? डराने-धमकानेका कोई भी सबूत देनेकी कोशिश क्यों नहीं की गई? मुझे बड़े दुःखके साथ कहना पड़ता है कि बंगालके गवर्नर महोदयने कलकत्ते में एक स्थानपर कुछ गुप्तियाँ मिलनेकी छोटी-सी बातको लेकर बड़ी-बड़ी सार्वजनिक संस्थाओंपर कीचड़ उछाला है। सभी नेताओंकी गिरफ्तारी के

  1. यह वक्तव्य एसोसिएटेड प्रेसके प्रतिनिधिसे गोलमेज परिषद्के सम्बन्धमें हुई भेंटके दौरान दिया गया था। भेंटका एक संक्षिप्त विवरण २१-१२-१९२१ के बॉम्बे क्रॉनिक में प्रकाशित हुआ था जिसके अनुसार यह भेंट तारीख २० दिसम्बरको अहमदाबादमें हुई थी।