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पत्र: महादेव देसाईको


"तब मैं तैयार ही हूँ।"

ऐसा कहने के बाद देशबन्धु अपनी पत्नीसे मिलने के लिए ऊपर भी नहीं गये और पुलिसके साथ हो लिये। जब उनकी गाड़ी बाहर निकली तब बाहर खड़े लोगोंने हर्षनाद किया और ऊपर खड़ी स्त्रियोंने शंखध्वनि की। बंगालमें जब किसीका स्वागत करना हो अथवा किसीको शुभ कार्यके निमित्त विदाई देनी हो तब शंख बजाया जाता है। यह शुभ शकुन माना जाता है। जब स्त्रियाँ अपने पति अथवा पुत्र अथवा पिताके जेल जानेपर नहीं रोयेंगी तथा उनके जेल जानेमें देश और धर्मकी भलाई है ऐसा जानकर हर्ष मनायेंगी तब धर्मका प्रसार होगा और अधर्मका अवश्य ही नाश होगा। इसीसे इस शंखध्वनिमें मैं हिन्दुस्तानकी विजयके चिह्न देखता हूँ।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १८-१२-१९२१

२६. पत्र: महादेव देसाईको

रविवार [१८ दिसम्बर, १९२१][१]

चि॰ महादेव,

'इंडिपेन्डेन्ट' की छपाई सुन्दर नहीं है; उसका कारण मशीनकी खराबी ही होगी।

स्वयंसेवक दलके सम्बन्ध में कांग्रेस में प्रस्ताव अवश्य पास किया जायेगा। अच्छे लोग ही उसमें भरती किये जायेंगे। तुमने प्रस्ताव तो देखा ही होगा।

स्वरूपरानी और अन्य महिलाएँ आयेंगी अथवा नहीं और अगर आयेंगी तो कब आयेंगी?[२]

इसके साथका पत्र श्रीमती जोजेफको[३] दे देना।

गोडबोले पहुँच गये हैं। मालवीयजी सम्मेलनकी व्यवस्था कर रहे हैं।

अपने और दुर्गाके स्वास्थ्यका समाचार देना।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च:]

श्रीमती जोजेफ तो कलकत्ता गई हैं इसलिए मैं उनका पत्र उनके बताये हुए पतेपर भेज रहा हूँ।

गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ ११४२५) की फोटो-नकलसे।

  1. महादेव देसाईको गांधीजीने १५ दिसम्बर, १९२१ को लिखे अपने पत्र में इच्छा प्रकट की थी कि गोडबोलेको अहमदाबाद आ जाना चाहिए। इस पत्रमें गांधीजीने कहा है कि "वे यहाँ पहुँच गये है"। अतः यह पत्र स्पष्टतः १५ दिसम्बर के बाद आनेवाले रविवार को लिखा गया होगा।
  2. अहमदाबादके कांग्रेस अधिवेशनमें भाग लेनेके लिए।
  3. जोर्ज जोजेफकी पत्नी।