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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

फिर भी उनमें से जिन्होंने देशभक्तिका रस-पान किया है उन्हें तो इसके लिए अवश्य तैयार रहना चाहिए । काठियावाड़ के एक मित्र पूछते हैं कि देशी राज्योंमें रहनेवाले लोग क्या करें ? देशी राज्योंके लोगोंको वहीं रहकर अपने नाम दर्ज नहीं करवाने चाहिए । लेकिन जिनका जेल जानेका विचार हो वे अपने नाम प्रान्तीय समितिमें दर्ज करवा सकते हैं और जो नाम दर्ज करवाने के लिए तैयार न हों वे लोग भी कमसे कम स्वयंसेवकों के जिन गुणोंका मैंने वर्णन किया है, उनका विकास तो कर ही सकते हैं ।

जब हम इस तरह तैयारी करके हजारोंकी संख्यामें जेल जाने के लिए तैयार हो जायेंगे तभी हमारे धैर्य,शान्ति और मौन शोभान्वित होंगे और हमारी सच्ची बहादुरी-के अंग माने जायेंगे । यदि हम समय आनेपर इतने बलका परिचय न दे सकेंगे और इतना आत्मत्याग न कर सकेंगे तो हम कायर और निर्बल कहे जायेंगे । लेकिन मुझे अपने मनमें गुजरातके साहस के सम्बन्ध में कोई शंका नहीं है ।

मैं सिर्फ इतना ही चाहता हूँ कि इस साहसके साथ लोगोंमें ज्ञान भी उत्पन्न हो । हमें जिस ज्ञानकी आवश्यकता है उसका सम्बन्ध स्वदेशीकी आवश्यकतासे और अस्पृश्यता-निवारणसे है । यह ज्ञान प्रत्येक पुरुषको अपने परिजनोंको तथा विवाहित होनेपर अपनी पत्नीको देनेका प्रयत्न करना चाहिए । अभी स्त्रियोंमें खादी के प्रति जितना चाहिए उतना प्रेम उत्पन्न नहीं हुआ है । उनका रंग-बिरंगे और आकर्षक नमूनों के विदेशी कपड़ोंका मोह अभी नष्ट नहीं हुआ है । वे अभी अस्पृश्यता के पापसे मुक्त नहीं हुई हैं । उन्हें अभी धीरज और प्रेमसे समझाना बाकी है । यह कार्य सभी अपने-अपने परिवारोंमें आसानी से कर सकते हैं । उन्हें उसमें सदा सफलता नहीं मिलेगी । यह बात समझमें आ सकती है, लेकिन हमें अपने प्रयासका आरम्भ अपने परिवारोंसे ही करना चाहिए । जिस तरह हम नवीन भोगों में अपने-अपने परिवारको सबसे पहले शामिल करते हैं इसी तरह नये त्याग अथवा सुधारोंमें भी हमें पहले उसीको भागीदार बनाना चाहिए ।

इस मास गुजरात कांग्रेस के स्वागत में जुटा रह सकता है; लेकिन जनवरीमें गुजरात को परीक्षा के लिए तैयार होना ही पड़ेगा । इसके सिवा और कोई उपाय नहीं है । अतः मैं आज से ही गुजरातियों को सावधान करना चाहता हूँ । नये खुष्टीय वर्षमें प्रान्तीय समितिका सबसे पहला काम गुजरातियोंको आत्म-बलिदान के लिए तैयार करना होगा ।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, १८-१२-१९२१