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गुजरात क्या करेगा ?

जेल जाने के लिए बिलकुल तैयार बैठे हैं । गुजरातसे जेलें भरनेके कार्य में पहल करनेकी आशा थी; लेकिन उस सम्मानका उपभोग तो इस समय बंगाल कर रहा है । फिर भी यदि हम सचमुच तैयार हों तो हमें उससे ईर्ष्या करनेकी कोई जरूरत नहीं । मुझे विश्वास है कि जब हमारी बारी आयेगी तब हम क्षण-भरमें बंगालके समकक्ष हो जायेंगे ।

वह समय समीप आता जा रहा है ।

बारडोली तैयार न हो और आनन्द तैयार न हो तो हम सामूहिक सविनय अवज्ञा नहीं कर सकते । लेकिन सविनय अवज्ञा करनेमें हमपर कोई प्रतिबन्ध लगा ही नहीं है । सामूहिक सविनय अवज्ञा करनेपर तो हम तुरन्त अपेक्षित परिणामकी उपलब्धि कर सकते हैं; परन्तु व्यक्तिगत रूपसे सविनय अवज्ञा करनेसे तनिक विलम्ब होगा । मुझे तो यह उम्मीद है कि बारडोली अवश्य तैयार हो जायेगा और इसीसे हम सामूहिक और अगर जरूरत पड़ी तो व्यक्तिगत अथवा दोनों प्रकारकी सविनय अवज्ञा करनेके लिए तैयार हो जायेंगे ।

बारडोली, आनन्द और नडियाद भले ही सामूहिक सविनय अवज्ञाकी तैयारी करें । अन्य सब भागों में लोगोंको व्यक्तिगत सविनय अवज्ञाके लिए तैयार रहना चाहिए । प्रत्येक गाँवमें जितने लोग तैयार हों उन्हें अपनी ग्राम-समितिमें अपने नाम दर्ज करा देने चाहिए। यदि ग्राम-समिति न हो अथवा कोई नाम दर्ज करनेके लिए तैयार न हो तो वे ताल्लुकेकी समितिमें अपने दाम दर्ज करा दें । ग्राम-समितियोंको ताल्लुका-समिति-में नाम भेज देने चाहिए । ये सब नाम अन्तमें गुजरात प्रान्तीय समिति में दर्ज करवा दिये जाने चाहिए ।

शान्तिसे ही स्वराज्य मिल सकता है, जिसकी इसमें श्रद्धा न हो; जो हिन्दू तो हो, लेकिन अस्पृश्यताका त्याग करनेके लिए तैयार न हो; जो अच्छी तरह कातना न जानता हो, जिसने विदेशी कपड़ेका सर्वथा त्याग न किया हो, जो केवल हाथसे कते सूतकी और हाथ-बुनी खादीका उपयोग न करता हो और जो हिन्दुओं, मुसलमानों, सिखों, पारसियों, ईसाइयों और यहूदियोंके बीच मित्रताकी जरूरत न समझता हो, उसे जेल जानेका विचार ही नहीं करना चाहिए और इसीलिए उसे स्वयंसेवकोंमें अपना नाम दर्ज करवाने का विचार भी अवश्य छोड़ देना चाहिए ।

जिन्होंने आत्मशुद्धि नहीं की है और जिन्होंने शराब आदि पीना नहीं छोड़ा है वे यदि इस धार्मिक युद्धमें शामिल न होंगे तो देशकी सेवा ही करेंगे तथा इससे वे यह बता सकेंगे कि उन्होंने अपनी मर्यादा समझ ली है ।

जो स्वयंसेवक बनें वे अपने भरण-पोषणकी व्यवस्था स्वयंमेव कर लें । वे समिति-से भरण-पोषण करनेकी आशा न रखें । जो देश-सेवा तो करना चाहते हैं लेकिन जिन्हें एक भी ऐसा मित्र नहीं मिलता जो ऐसे समय में उनकी आवश्यकताओंको पूरा कर सके, मेरे विचारसे वे देश सेवा करने योग्य नहीं हो सकते । ऐसे लोगोंका खर्च अधिक नहीं होता और वह खर्च किसीको कदापि भारी नहीं पड़ेगा ।

जो कुछ मैंने पुरुषोंके सम्बन्धमें कहा है वह स्त्रियोंपर भी लागू होता है । हालाँकि स्त्रियोंको एकाएक जेल जाने के लिए निकल पड़नेकी कोई जरूरत नहीं है