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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बनाये रखी, चित्तको अविचलित रखा, और दिलमें बदलेका विचार भी न आने दिया (जो मैं मानता हूँ कि सचमुच बड़ी कठिन बात है, किन्तु साथ ही यह भी कहूँगा कि भारतकी वर्तमान उच्च मनःस्थितिमें उतनी कठिन नहीं है) तो हमारी इस तैयारी और साथ ही प्रतिक्रिया के अभाव के कारण सरकारकी पाशविक वृत्ति, पोषक तत्त्व न पाकर अपने-आप मर जायेगी और लॉर्ड रीडिंग भी अपने-आप लम्बी-चौड़ी बातें अलग रखकर पश्चात्तापकी मानवीय भाषा अपनायेंगे और उन्हें भारतीय वातावरणमें नई राजनीति के लिए क्षेत्र दिखाई देगा । परन्तु इसके प्रतिकूल अगर हम अपने-आपको और अपने वचनको भूल गये तो हमें हजारों 'जलियाँवाला' के दृश्य देखने होंगे और अपनी आँखोंसे सारे देशको एक विशाल बूचड़खाना बना हुआ देखना होगा । किन्तु राष्ट्रीय कांग्रेस के नव-निर्वाचित सभापतिने हमें इस नौबत के लिए पहलेसे ही तैयार कर दिया है । उन्हें यह यकीन हो गया है कि कैदका डर तो हमारे दिलसे दूर हो गया है । उन्हें शायद अपने बहादुर पुत्र तथा उसके साथियोंके अनुभव देखकर यह भी विश्वास हो गया है कि हम मार-पीट भी सहन करनेके लिए तैयार हैं । किन्तु वे तो हमें साक्षात् मृत्युका भी डर दूर कर देनेकी आज्ञा दे रहे हैं । अगर वह दिन देखना हमारे नसीब में वदा होगा तो मुझे उम्मीद है कि तब भारतमें ऐसे पर्याप्त शान्ति-निष्ठ असहयोगी निकलेंगे जिनके विषयमें यह लिखा जा सकेगा कि :

उन्होंने बिना क्रोधके और अपने मुँहसे उस नादान खूनीके लिए भी प्रार्थना करते हुए बन्दूककी गोलियाँ खाईं ।

जो खबरें मिली हैं उन्हें यदि सच माना जाये तो दो असमिया स्वयंसेवकोंको कोड़े लगाये गये हैं । लाहौर के स्वयंसेवकोंने उनपर किये गये मनमाने अत्याचारोंको बड़ी शान्तिके साथ सहन किया है । यह लड़ाई मजाक नहीं है । हम गत बारह महीनोंसे भी ज्यादा अरसेसे बराबर तैयारी कर रहे हैं और अन्ततक हमें इसी तरह नियमोंका पालन करना होगा । पीछे लौटनेका तो कोई सवाल ही नहीं है ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २२-१२-१९२१

२३. गुजरात क्या करेगा ?

पिछले दस दिनोंमें बंगालमें पाँच सौ योद्धा पकड़े गये हैं । लगभग दो-तीन सौ संयुक्त प्रान्त में पकड़े गये होंगे । पंजाबमें सौ-एक लोग पकड़े गये हैं । यदि उपर्युक्त प्रान्तोंमें अधिक असहयोगी नहीं पकड़े गये हैं तो इसमें इन प्रान्तोंके असहयोगियोंका कोई दोष नहीं है । मुझे जो पत्र प्राप्त हुए हैं उनसे मैं देखता हूँ कि इन तीनों प्रान्तोंमें सरकार जितने योद्धा गिरफ्तार करना चाहे उसे उतने योद्धा मिल सकते हैं । अगर अभीतक जितने लोग पकड़े गये हैं उनकी संख्या कम जान पड़ती है तो इसका कारण सरकारकी सुस्ती है । प्रत्येक प्रान्तमें जेल जाने के लिए सैकड़ों जेल-यात्री तैयार हैं।

ऐसे समयमें गुजरात शान्त है, मौन है और धैर्य धारण किये बैठा है । मुझे ये शान्ति, धैर्य और मौन अत्यन्त प्रिय हैं, क्योंकि मुझे विश्वास है कि सैकड़ों गुजराती