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१६. परिपत्र[१]

साबरमती
१६ दिसम्बर, १९२१

प्रिय मित्र,

मैं नहीं जानता कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी बैठकमें कौन-कौन शामिल हो सकेगा। इसलिए मैं एक प्रस्तावका मसविदा आपको भेज रहा हूँ। मैं चाहूँगा कि वह पास किया जाये। यदि आप शामिल न हो सकें तो क्या आप कृपया मुझे अपना मन्तव्य भेजेंगे? और यदि अपने प्रान्त में शान्ति बनाये रखने के लिए आपकी उपस्थिति आवश्यक हो तो अवसर होनेपर भी आप निश्चय ही बैठकमें शामिल होने नहीं आयेंगे। मसविदेको कतई प्रकाशित न किया जाये।

आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ९५४५ ) की फोटो-नकलसे।

१७. पत्र: देवदास गांधीको

आश्रम
शुक्रवार [१६ दिसम्बर, १९२१][२]

चि॰ देवदास,

तुम्हारा पत्र मिला। कैदियोंका चित्र सुन्दर भाषा किन्तु रद्दी अक्षरोंमें दिया है और इससे पत्रकी मिठास लगभग समाप्त हो गई है।

मैं तुम्हारे जेल जाने और महादेवके गिरफ्तार होने के तारकी राह देख रहा हूँ।

श्रीमती नेहरू वगैरा आयेंगे या नहीं, तारसे सूचित करना। आज महादेवको अलग से पत्र नहीं लिख रहा हूँ।

तुम दोनोंकी तबीयत अच्छी रहनी चाहिए। प्यारेलालके वहाँ पहुँच जानेपर तुमपर बहुत बोझा तो नहीं पड़ेगा।

  1. यह सम्भवत: विभिन्न प्रान्तोंके कांग्रेसी कार्यकर्त्ताओंको भेजा गया था।
  2. जमनादास द्वारकादास और हृदयनाथ कुंजरू आश्रम में १७ दिसम्बर, १९२१ को पहुँचे थे।