पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/५७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३३
टिप्पणी

होगा । नगरपालिका स्वेच्छासे पैसा कदापि नहीं देगी । इसलिए सरकार हर बार जोर-जबरदस्ती करके नगरपालिकासे पैसा लेगी । अतः इसमें भी सरकारकी पराजय होगी ।

दूसरा रास्ता यह है कि सरकार अपना अधिकारी नियुक्त करना चाहे तो भले ही करे; लेकिन नगरपालिका स्कूलोंको यह सलाह दे सकती है कि उनके अध्यापकगण उस अधिकारीके आदेशका पालन न करें और उसको, वह जो भी कदम उठाना चाहे उठाने दें । यदि ऐसा हो तो भी सरकार परेशान होगी ।

तीसरा रास्ता यह है कि यदि सरकार वर्तमान स्कूलोंपर अधिकार जमाने के अपने प्रयत्न में सफल हो जाये तो हमें मतदाताओंके बीच काम करना चाहिए । अर्थात् हम लोगों को ऐसी तालीम दें जिससे कोई भी बालक सरकारी स्कूलोंमें न जाये और सब लोग नये स्कूल खोलकर अपने बालकोंको उनमें भेजें ।

इन तीनों रास्तोंको एक साथ नहीं अपनाया जा सकता; लेकिन हमें तीनोंमें से एक रास्ता चुनने के बाद उसपर खूब ध्यान देना चाहिए । प्रतिनिधियोंका यह कर्त्तव्य है कि वे मतदाताओंको खूब तालीम दें ताकि वे प्रत्येक उचित कार्यके लिए तैयार रहें ।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, १५-१२-१९२१

८. टिप्पणी
माँ-बापसे

जो माँ-बाप अपने बच्चोंको स्कूलों अथवा आश्रममें भेजते हैं उन्हें भी कुछ कर्त्तव्य पूरे करने होते हैं । यदि माँ-बाप ऐसा नहीं करते तो बच्चोंका, जिन संस्थाओंमें वे पढ़ते हों उन संस्थाओंका तथा स्वयं उन माँ-बापका नुकसान होता है । अतः वे जिन संस्थाओं में बच्चोंको भेजें उन्हें उनके नियमोंको जान लेना चाहिए । उन्हें बच्चोंकी आदतों और आवश्यकताओंको समझ लेना चाहिए और एक बार निश्चय कर लेनेपर उसका पालन करना चाहिए । जब बच्चोंका आश्रममें रहनेका समय हो तब माँ-बाप-को उन्हें अपने स्वार्थसे प्रेरित होकर अथवा अपनी सेवा करवानेके लिए वापस नहीं बुलाना चाहिए । फिर विवाहोंमें भाग लेने के लिए तो उन्हें बुलाया ही कैसे जा सकता है ? ऐसे अवसरोंपर बच्चोंको क्यों बुलाया जाये ? जिस तरह माँ-बाप बच्चोंको अन्य समस्त सामाजिक कार्यों में नहीं फँसाते उसी तरह उन्हें विवाह जैसे कार्योंमें भी नहीं डालना चाहिए । बच्चोंका शिक्षण काल ऐसा होता है कि उसमें उनका ध्यान पढ़ाईके अलावा किसी अन्य विषयपर नहीं होना चाहिए । इसके अतिरिक्त शिक्षण कालमें बच्चोंको ब्रह्मचारी रहना चाहिए । यदि उन्हें विवाह-जैसे समारोह देखनेके चक्कर में डाला जायेगा तो उससे ब्रह्मचर्य पालनमें विघ्न उपस्थित होनेकी सम्भावना है । इसलिए बालकोंको सोच-समझकर वैसे कार्योंसे अलग रखनेकी आवश्यकता है । इसके

२२-३