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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त



१३ जनवरी: युवराजके आगमनपर मद्रासमें हड़ताल।



१४ जनवरी के पूर्व : बम्बई में होनेवाली नेताओंकी परिषद् के सम्बन्धमें गांधीजीकी 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे भेंट ।



१४ जनवरी : सर शंकरन नायरकी अध्यक्षतामें बम्बईमें नेताओंकी परिषद्का समारम्भ; गांधीजीने उसमें भाषण दिया । परिषद्ने प्रस्ताव तैयार करनेके लिए समिति नियुक्त की ।



१५ जनवरी : परिषद् द्वारा नियुक्त समितिकी बैठक में गांधीजीने भाग लिया; सर शंकरन नायर बैठकसे उठकर चले गये । शामको सम्मेलन पुनः प्रारम्भ हुआ; सर विश्वेश्वरैयाको अध्यक्ष चुना गया । गोलमेज सम्मेलन के सम्बन्धमें वाइसरायके साथ हो रही बातचीतको ध्यानमें रखते हुए गांधीजीने ३१ जनवरी, १९२२ तक सविनय अवज्ञा स्थगित रखना स्वीकार किया ।



१७ जनवरी: बम्बई में कांग्रेसकी कार्य-समितिने नेता परिषद्‌के सुझावोंपर विचार किया तथा सविनय अवज्ञाको ३१ जनवरी, १९२२ तक स्थगित रखनेका प्रस्ताव पास किया। सर शंकरन नायरने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने नेता परिषद् के विषयमें अपने दृष्टिकोणका स्पष्टीकरण किया । टाइम्स ऑफ इंडिया' में प्रकाशित सर शंकरन नायरके पत्रके सम्बन्धमें गांधीजीकी 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे भेंट ।



१९ जनवरी : गांधीजीने 'यंग इंडिया' में प्रकाशित 'मार्शल लॉसे भी बदतर ' शीर्षक लेखमें सरकार के 'बर्बरतापूर्ण दमन' की भर्त्सना की ।

:'मद्रासमें गुण्डागर्दी" नामक अपने दूसरे लेखमें १३ जनवरीको हुई हड़तालके अवसरपर हुई हुल्लड़बाजीकी भर्त्सना की ।

बाबू भगवानदास रिहा कर दिये गये ।



२६ जनवरी : गांधीजीने सत्याग्रह आश्रम, अहमदाबादकी एक सभामें भाषण दिया ।



२९ जनवरी : बारडोली ताल्लुका सम्मेलनमें भाषण दिया; सम्मेलनने यह प्रस्ताव पास किया कि यदि कार्य समितिने कोई दूसरा निर्णय नहीं किया अथवा गोलमेज सम्मेलन नहीं बुलाया गया तो बारडोली ताल्लुका तुरन्त सविनय अवज्ञा प्रारम्भ कर देगा । केन्द्रीय विधान मण्डलमें हुई बहसपर 'नवजीवन' में टीका करते हुए गांधीजीने घोषित किया कि असहयोगियोंकी स्थिति तथा सरकारकी स्थिति में 'उतना ही अन्तर है जितना उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुवके बीच ।



३० जनवरी : गांधीजीने बारडोलीके पटेलोंसे अनुरोध किया कि वे अपने त्यागपत्र तुरन्त उनके पास भेज दें ताकि सविनय अवज्ञा प्रारम्भ करने के समय उन्हें सरकारके पास भेजा जा सके ।



३१ जनवरी: सूरतमें कार्य समितिकी बैठक इस आशयका प्रस्ताव पास किया कि विदेशों में भारतकी राजनीतिक स्थितिके सम्बन्धमें प्रचार अत्यन्त आवश्यक है । सूरतकी सार्वजनिक सभामें गांधीजीका भाषण ।

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