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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
स्थानीय अधिकारियोंने अजमेरको खबरें बिलकुल दबा रखी हैं, स्थानीय नेताओंके नामसे जो भी तार आते-जाते हैं उन सबको वे सेंसर करते हैं।...जैसा कि स्वाभाविक था, शुरू-शुरूमें यहाँ हिंसात्मक भावना थी । परन्तु महात्माजीके अहिंसात्मक आन्दोलनकी बदौलत तथा स्थानीय नेताओंके प्रयाससे समस्त जनताने बड़ी-बड़ी उत्तेजनाके समय भी भारी धैर्य और आत्मसंयमका परिचय दिया है। यदि चौरीचौरा जैसी कुछ इक्का-दुक्का मिसालें मिलती हैं, तो देश-भर में अहिंसाकी मिसालें भी बहुत अधिक हैं। ...न्यायका पूर्ण अभाव दीखता है। अजमेरके बहुतसे प्रतिभाशाली नवयुवकोंको, फतवा बाँटनेपर, जेलमें ठूंस दिया गया है। लेकिन वही फतवा जब बीस संगठित स्वयंसेवकों द्वारा कचहरीके अन्दर सवारों और पुलिसके सिपाहियोंमें बाँटा गया तो वे गिरफ्तार नहीं किये गये । यह है सरकारका कानून और इन्साफ ! कुँवर चाँदकरण शारदाके मामलेमें वकील यह चाहते थे कि मुकदमा जेलकी बजाय खुली अदालतमें चलाया जाये। लेकिन कमिश्नरने वकीलोंसे कहा कि वे पहले पण्डित गौरीशंकर भार्गवसे यह आश्वासन ले लें कि पूर्ण शान्ति और व्यवस्था रहेगी; ... उन्होंने कमिश्नर या सरकारके साथ सहयोग करनेवाले वकीलोंको ऐसा कोई वचन देना स्वीकार नहीं किया । परन्तु . . . बताया कि अहिंसा उनका मूल सिद्धान्त है, इसलिए शान्ति भंग होनेकी तनिक भी आशंका नहीं हो सकती । कुँवर चाँदकरण शारदाका मुकदमा इसके बाद ही खुली अदालतमें लाया गया ।
...ये [ खबरें ] दिल्ली तारघरसे भेजी जा रही हैं. . . ।
[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २-३-१९२२