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६. एक उलझन और उसका हल'

लॉर्ड रीडिंग उलझन में पड़े हैं; उनकी बुद्धि चकरा गई है । कलकत्ताके ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन और बंगाल नेशनल चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अभिनन्दन-पत्रोंका उत्तर देते हुए उस दिन वाइसरायने कहा कि

मैं जबसे यहाँ भारतमें आया हूँ तबसे बराबर मनन करते रहनेपर भी जब मैं जनताके एक विशेष समुदायकी हलचलपर विचार करता हूँ तो आज भी उलझन में पड़ जाता हूँ, मेरी बुद्धि चकरा जाती है । मैं सोचता हूँ कि सरकारको चुनौती देने के उद्देश्यसे तथा उसे गिरफ्तारीपर मजबूर करनेके लिए जान-बूझकर कानून-भंग करनेसे आखिर हाथ क्या आयेगा ?

इसका आंशिक उत्तर तो पण्डित मोतीलाल नेहरूने अपनी गिरफ्तारी के बाद यह उद्गार प्रकट करके दे दिया है कि मैं स्वतन्त्रताके मन्दिरमें जा रहा हूँ । हम गिरफ्तारी इसलिए चाहते हैं कि यह नाम-मात्रकी आजादी वास्तवमें गुलामी ही है । हम इस सरकारकी सत्ताको इसलिए चुनौती देते हैं कि हम उसकी शासन प्रणालीको बिलकुल बुरी प्रणाली मानते हैं । हम इस सरकारका तख्ता उलट देना चाहते हैं । हम उसे लोकमत के आगे झुकनेको मजबूर कर देना चाहते हैं । हम यह दिखाना चाहते हैं कि सरकारका अस्तित्व प्रजाकी सेवाके लिए होता है; प्रजा सरकारकी सेवाके लिए नहीं होती । इस सरकार के राज्यमें स्वतन्त्र जीवन व्यतीत करना असह्य हो गया है; क्योंकि उसके लिए हमें जो कीमत अदा करनी पड़ती है वह बहुत ही ज्यादा है, इतनी ज्यादा कि लोगोंको उसकी कल्पना तक नहीं हो सकती । हम चाहे अकेले हों, चाहे हमारे साथ बहुत-से लोग हों, हम अपने आत्मसम्मान और अपने निश्चित सिद्धान्तोंको बेचकर आजादी नहीं खरीद सकते । मैंने देखा है कि छोटे-छोटे बच्चे भी उनके निश्चित उद्देश्यको भंग करनेका प्रयत्न किये जानेपर आनपर अड़ गये, जरा भी नहीं झुके; फिर उनके माँ-बापकी दृष्टिमें यह बात चाहे कितनी ही छोटी क्यों न रही हो ।

लॉर्ड रीडिंगको यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि असहयोगी सरकारके साथ संग्राम कर रहे हैं । और जिस हदतक सरकारने मुसलमानोंके साथ विश्वासघात किया है, पंजाबकी बेइज्जती की है, और वह जिस तरह लोगोंको जबरदस्ती अपनी इच्छा के अनुसार चलानेका दुराग्रह कर रही है और अपने किये विश्वासघात-का सुधार करने तथा पंजाब के अत्याचारोंका प्रायश्चित्त करनेसे मुँह मोड़ रही है, उसी हदतक हमने उसके खिलाफ विद्रोह किया है ।

१. यह उन लेखोंमें से है जिसे लिखनेके कारण गांधीजीपर मुकदमा चलाया गया था और सजा दी गई थी ।

२. वे ६ दिसम्बर, १९२१ को गिरफ्तार हुए थे ।