पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/५३२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५०८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  मैं और भी बहुत-सी बातें बतला सकता हूँ जिनपर ध्यान देना बहुत जरूरी है । यदि सब शर्तें पूरी हो गई हों तो, प्रान्तोंको काम करनेकी स्वतन्त्रता है, फिर भी मेरी सलाह है कि वे जल्दबाजी न करें ।

प्रश्न: क्या आप समझते हैं कि इन कार्रवाइयोंको स्थगित करने और कांग्रेस कमेटी द्वारा उनकी फिरसे इजाजत न दी जानके बीच जो थोड़ा-सा समय बीता है उसमें हवा इतनी साफ हो गई है कि ऐसी अनुमति पुनः दे दी जाये ।

उत्तर : मेरा खयाल तो यह था कि प्रस्ताव ही इस बातको साफ कर देता है। यदि आप बारडोली के निर्णयोंका अवलोकन करें तो आप देखेंगे कि सामूहिक अवज्ञा के लिए बहुत कड़ी शर्त लगाई गई है। आपको यह भी मालूम होगा कि व्यक्तिगत अवज्ञाके सम्बन्धमें इतनी सख्त शर्त नहीं लगाई गई है। सामूहिक अवज्ञा उसी समयतक के लिए बन्द की गई है जबतक अन्यथा आदेश न दिये जायें। इसका अर्थ यह है कि यद्यपि सामूहिक अवज्ञा बन्द की जा रही है तथापि कार्यकारिणी समितिने अन्य कार्रवाइयों को भी इसी विचारसे बन्द करना ठीक समझा है कि समूची स्थितिपर पूरी तरह विचार किया जा सके और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी भी सब बातोंपर नजर डाल ले। इसमें कांग्रेस कमेटीने केवल इतना ही परिवर्तन किया है कि व्यक्तिगत अवज्ञाका समय स्वयं स्थिर न करके यह काम उसने प्रान्तीय कमेटियोंको सौंप दिया है । ये कमेटियाँ क्या निर्णय करेंगी सो मैं नहीं जानता । जैसा कि आप जानते ही होंगे मैंने स्वयं यही सलाह दी है कि फिलहाल तो किसी प्रकारकी अवज्ञा में हाथ न डाला जाये पर यदि किसी प्रान्तका ऐसा खयाल हो कि वहाँकी हवापर चौरीचौराकी दुर्घटनासे कोई प्रभाव नहीं पड़ा है और इसलिए वहाँ किसी प्रकारके हिंसा-काण्डकी सम्भावना नहीं है, और साथ ही यदि उसे इस बातका भी विश्वास हो गया हो कि उन सब शर्तोंकी पूर्ति हो गई है जिनको कि कांग्रेसने जरूरी बतलाया है तो उस प्रान्तको व्यक्तिगत अवज्ञाका पूरा अधिकार है । इसलिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीने कोई ऐसा निर्णय नहीं किया है कि समयका अमुक अन्तराल पर्याप्त होगा अथवा कोई बड़ा अन्तराल आवश्यक होगा । प्रत्येक प्रान्तको अपने लिए स्वयं निर्णय करना है । और यह देखते हुए कि भिन्न-भिन्न प्रान्त अपने- अपने स्वत्वोंकी रक्षा के लिए बहुत सजग रहते हैं और सत्याग्रह के बारेमें अपनी व्यवस्था आप कर सकने की योग्यतामें दूसरे लोगोंके सन्देहको नापसन्द करते हैं, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के लिए यह असम्भव था कि वह प्रान्तोंके स्वायत्त शासनकी माँगको स्वीकार न करती ।

परन्तु ईश्वरकी तीसरी चेतावनी पानेके बाद भी इतनी जल्दी आपने वह प्रान्तीय स्वाधीनता कैसे दे दी जिसका कमसे कम संयुक्त प्रान्तने उचित उपयोग नहीं किया था ?

यही तीसरी चेतावनी मुझे तत्काल सामुदायिक अवज्ञाके लिए उद्यत होनेसे रोक रही है। अब उसे आरम्भ करनेसे पहले मैं सौ बार सोचूँगा । प्रान्तोंको स्वायत्ताधिकारसे थोड़े दिनोंके लिए ही वंचित किया गया था सो भी इसलिए कि कांग्रेस संगठनोंपर