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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

काम नहीं आयेगा। नई भावना, नये उत्साहसे अनुप्राणित भारतीयोंको वे किसी भी तरह झुका नहीं सकेंगे, तोड़ नहीं सकेंगे। यह सत्य है कि हममें "प्रचण्ड बाहुबल नहीं है। मगर अब ऐसा लगता है कि भारतके चावल खानेवाले क्षीण- दुर्बल करोड़ों मानवोंने अपने अटल भवितव्यकी प्राप्तिका, अपनी आजादी हासिल करनेका दृढ़ निश्चय कर लिया है। इसके लिए उन्हें न किसी संरक्षककी छत्रछायाकी आवश्यकता है, न शस्त्र बलका प्रयोग करने की । लोकमान्य तिलकके शब्दोंमें स्वराज्य उनका 'जन्मसिद्ध अधिकार" है। ब्रिटेन अपने " प्रचण्ड बाहुबल " का प्रयोग करे, और अपनी समस्त शक्ति तथा संकल्प के साथ करे, किन्तु भारतीय अपना यह अधिकार प्राप्त करके रहेंगे । इंग्लैंडवालों की उद्धतताका जवाब भारत उद्धततासे नहीं देगा। लेकिन अगर वह अपनी प्रतिज्ञापर दृढ़ रहता है तो उसकी यह प्रार्थना ईश्वर अवश्य सुनेगा कि उसे इस यातनासे मुक्त करे । शक्तिके मदमें चूर और कमजोर जातियोंको लूटने- खसोटने वाला साम्राज्य इस दुनियामें कभी भी अधिक दिनोंतक नहीं टिका; और यदि ईश्वर है तो ब्रिटिश साम्राज्य भी अधिक दिनोंतक नहीं टिक पायेगा; क्योंकि इसका आधार योजनाबद्ध शोषण और निरन्तर पशुबलका प्रदर्शन है। ब्रिटिश राष्ट्रके इन तथाकथित प्रतिनिधियोंको शायद यह मालूम नहीं कि ब्रिटेनको अपने “ प्रचण्ड बाहुबल " का जौहर दिखाने का अवसर देनेके लिए भारत अपने बहुत से बलिदानी सपूत भेंट कर चुका है। अगर चौरीचौरा -काण्डके कारण राष्ट्रीय बलिदानके प्रवाहमें व्यवधान उपस्थित न हो गया होता तो हमने इस सिंहको और भी ज्यादा और रुचिकर बलि भेंट की होती। लेकिन ईश्वरकी इच्छा कुछ और थी । फिर भी, डाउनिंग स्ट्रीट तथा व्हाइट हॉलको सुशोभित करनेवाले ये प्रतिनिधि बुरेसे बुरा जो कर सकते हों शौकसे करें। मैं जानता हूँ कि सात समुद्र पारसे आई इस धमकी के बारेमें मैंने बहुत कड़े शब्द कहे हैं, लेकिन अब वह अवसर आ गया है, जब अंग्रेजोंको यह अहसास करा देना बहुत जरूरी है कि जो लड़ाई १९२० में छिड़ी है, वह अन्तिम लड़ाई है। वह महीना भर चले या महीनों चले, वर्ष-भर चले या वर्षों चले, लेकिन वह लड़ाई अन्तिम है और यदि वे इस लड़ाई में दूनी शक्तिसे गदरके दिनोंकी बर्बरताकी पुनरावृत्ति करें तो हमें उसकी भी परवाह नहीं है। मैं ईश्वरसे केवल यही आशा रखता हूँ, उससे केवल यही प्रार्थना करता हूँ कि वह भारतको अन्ततक अहिंसापर दृढ़ रहने के लिए पर्याप्त विनय और बलका वरदान दे । समुद्र पारसे समय-समयपर आनेवाली इन चुनौतियोंको बरदाश्त करना अब असम्भव है ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २३-२-१९२२