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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रख सकती। आशा है, इन लिखित अखबारोंके सम्पादकगण समाचारोंके चुनाव में विशेष सावधानी बरतते होंगे; वे ऐसा एक भी तथ्य प्रकाशित नहीं करते होंगे, जो प्रमाणित न हो सके और न घृणाको बढ़ावा देनेवाली आलोचनाएँ ही लिखते होंगे । उन्हें बहुत संयत भाषाका प्रयोग करना चाहिए। यदि लिखित अखबार असंयत भाषाका प्रयोग करेंगे, तो यह बड़ी भयानक बात होगी । जबतक हमारा देश अहिंसाके व्रतसे बँधा हुआ है, क्रोध या द्वेष की भावनासे लिखा या कहा गया प्रत्येक शब्द हमारी प्रगतिमें बाधा पहुँचायेगा ।

खादी टोपीपर रोक

लखनऊ के मौलवी जफरुल्मुल्क अलवीसे, जो इस समय फतेहगढ़ जेल में कैदकी सजा काट रहे हैं, निम्नलिखित पत्र पाकर मुझे बड़ी खुशी हुई। पाठकों को शायद याद भी न हो कि वे उन लोगों में से हैं जो दमनके सबसे पहले शिकार हुए थे । उनकी गिरफ्तारीको आशा नहीं की जाती थी, इसलिए उससे बड़ी सनसनी फैली थी । वे साहित्यिक रुचिके व्यक्ति हैं और बिलकुल निवृत्त जीवन बिता रहे थे। अपनी रचनाओं में वे बड़े निडर और सत्यवादी रहे हैं । इसीलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया । उनके पत्र से पाठकों को ज्ञात हो सकेगा कि वे जेलमें कितनी सावधानीसे अपना कर्त्तव्य निभा रहे हैं। दूसरे बहुत-से असहयोगी कैदियोंकी भाँति वे भी जेलमें अनुशासन बनाये रखने में अधिकारियोंकी सहायता कर रहे हैं। पत्रसे[१] स्वयं ही सारी बात स्पष्ट हो जायेगी :

मैंने यहाँ बिताये पिछले पन्द्रह महीनोंके दौरान आपको पत्र लिखनेसे जान-बूझकर अपने-आपको रोके रखा, क्योंकि में अपनी स्थितिसे पूरी तरह सन्तुष्ट था।...
लेकिन असहयोगी बन्दियोंके जेल जीवनसे सम्बन्धित कुछ ऐसी बातें पैदा हो गई हैं जिन्हें मैं आपके ध्यानमें लाना चाहता हूँ ।...
दूसरी बात कुछ ज्यादा गम्भीर है। दो असहयोगियोंको, जिन्हें हालमें ही सादी कैद की सजा दी गई है और इसलिए उन्हें अपने निजी कपड़े पहनने की इजाजत है, गांधी टोपी पहननेसे मना कर दिया गया।...
मैंने सम्बन्धित अधिकारीसे बात की और उसने मुझे विश्वास दिलाया कि व्यक्तिगत रूपसे इस सम्बन्धमें उसका विशेष आग्रह नहीं है । वास्तवमें उसने जिला मजिस्ट्रेटकी इच्छाका पालन किया है। ...
जेलके नियमोंके अनुसार सभी साधारण कैदी अपने निजी कपड़े ही पहनते हैं।... इस प्रकार यह स्पष्ट है कि इस नई रोकका अभी हाल में ही आविष्कार किया गया है; तथा यह बिलकुल आपत्तिजनक और अपमानकारी है । ...
  1. यहाँ केवल कुछ अंश ही दिये जा रहे हैं ।