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महिलाओंका योग

कि ज्यादातर मामलोंमें वे सौजन्यके साथ, युद्धके नियमोंका पालन करते हुए चल रहे हैं । उन्होंने पीर बादशाह मियाँ तथा डा० सुरेश बनर्जीको हथकड़ियाँ अवश्य लगाई किन्तु अली बन्धुओं, लाला लाजपतराय, मौलाना मुहीउद्दीन अथवा पण्डित मोतीलाल नेहरू के साथ ऐसा नहीं किया । यदि वे सभीको हथकड़ी लगाते तो मैं हथकड़ी लगाने-की बातपर लड़ नहीं सकता था । बन्दीको हथकड़ी लगाना जेलका एक नियम है । निश्चय ही मैं पण्डित मोतीलाल नेहरू तथा उनके पुत्रको साथ-साथ हथकड़ी लगाकर जेलतक पैदल ले जाते देखने के लिए इलाहाबादतक जाना पसन्द करता । उनके हथकड़ी लगाने से स्वराज्य पास सरक आयेगा इस बातकी प्रतीतिसे चमकते हुए उनके चेहरे देखकर मुझे बड़ी खुशी होती । किन्तु सरकारने इस खुशीका अवसर नहीं दिया । अलबत्ता मनुष्यकी प्रतिष्ठाकी दृष्टिसे मैं पंजाब जैसे ओछे और नीचे गिरानेवाले अपमानजनक कार्य तथा मोपला मृत्यु-बैगन जैसी अविचारपूर्ण अमानुषिकताओंकी पुनरावृत्तिकी अपेक्षा अवश्य नहीं करता । किन्तु असहयोगी तो इनसे बरी रखे जानेकी कोई गुंजाइश मनमें रखकर मैदानमें नहीं उतरे हैं । वे मानते हैं कि उनके साथ बुरे से-बुरा व्यवहार किया जा सकता है; अपने उत्तरदायित्वकी पूरी चेतनाके साथ हमने अहिंसक रहने की प्रतिज्ञा की है । स्वराज्य लगभग हमारी मुट्ठीमें आ गया है; कहीं ऐसा न हो कि हम उसे अपनी असावधानीसे खो दें ।

नेताओंके जेलमें होने पर भी, जहाँ-कहीं युवराज जायें वहाँ हड़तालें होनी चाहिए । हड़तालें कराने के लिए सभाओंकी आवश्यकता नहीं है । जनताको स्वतःस्फूर्त कार्रवाईका पर्याप्त प्रशिक्षण प्राप्त हो गया है । यह बात सरकारकी समझ में आ जानी चाहिए कि हड़तालें जोर- जबरदस्तीसे नहीं, स्वेच्छया ही की जा रही हैं । सविनय अवज्ञा कहीं भी अनधिकृत अथवा दुविचारित ढंगसे नहीं की जानी चाहिए । हर नया कदम विचार-पूर्वक तथा शान्ति के साथ उठाना चाहिए । लोग प्रत्येक विषयपर अपने घरोंमें ही विचार-विमर्श कर सकते हैं । व्यापारी हजारों बार अपने व्यापारके सम्बन्धमें परस्पर मिलते ही रहते हैं । तो वे बहुत आसानीसे इस निरन्तर बदलती हुई परिस्थितिसे उत्पन्न होनेवाले सवालोंकी चर्चा कर सकते हैं और इसका निर्णय कर सकते हैं कि उनका अगला कदम क्या हो । मैं यह तो चाहता हूँ कि युवराज जहाँ जायें वहाँ हड़तालें भी हों मगर मैं इन्हें करने-कराने में तनिक सी भी हिंसा या जोर-जबरदस्ती या डराने-धमकाने की बात की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहता । योजनाके अनुसार हड़तालोंका न होना हमारे लिए थोड़ी-बहुत शर्म की बात हो सकती है किन्तु इनके दरम्यान हिंसा हो गई तो वह भी हमारी प्रगतिको अवरुद्ध कर देगी और स्वराज्य भी अनिश्चित कालके लिए दूर खिसक जायेगा ।

मुझे यह भी आशा है कि गिरफ्तारियोंके कारण प्रतिनिधियोंके रिक्त होनेवाले सभी स्थानोंकी पूर्ति कर ली जायेगी और कांग्रेसके सदस्य पूरी संख्या में उपस्थित होंगे और वे जो करना चाहते हैं उसे तय करके आयेंगे और यह भी समझे हुए होंगे कि उसे किस तरह पूरा करना है ।

इसके छपते-छपते सूचना मिली कि तीनों महिलाओंको कुछ घंटोंके बाद छोड़ दिया गया । तिसपर भी मैं इस लेखको जनतातक पहुँचाना चाहूँगा क्योंकि जो कुछ