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टिप्पणियाँ

हुआ है, बन्द रखने की आवश्यकता है। लेकिन ऐसा तो तमाम युद्धोंमें होता ही है; और आध्यात्मिक युद्धमें तो और भी अधिक होता है। और क्या हमारा यह दावा नहीं है कि हमारा यह युद्ध आध्यात्मिक है ? मैं इसे आध्यात्मिक इस अर्थमें कहता हूँ कि हमने अपने ध्येयकी सिद्धिके लिए शारीरिक बलका प्रयोग न करनेका पक्का संकल्प कर रखा है। खतरा यह पैदा हो गया था कि कहीं हम अपने पथसे भ्रष्ट न हो जायें, कहीं हमारा जहाज अपने लंगरसे छूटकर दिशाहीन और बेसहारा होकर लहरोंकी मरजीपर जहाँ-तहाँ न भटकने लगे; और इसलिए वापस लौटना आवश्यक था । पर वापसीका मतलब केवल इतना ही है कि हम अधिक शुद्ध हो जायें, हमारी ग्रहणशीलता, हमारी समझदारी बढ़ जाये जिसका मतलब है कि हमारे अन्दर अधिक बल आ जाये; और यदि असहयोगियोंको इस राष्ट्रीय संग्रामके सधे तपे योद्धा बनना है तो निस्सन्देह वे प्रतीक्षा और तैयारीका मूल्य समझेंगे। जो शख्स तैयारी तक अथवा कोई दूसरी कमी पूरी करनेके लिए ठहरा रहता है, वह भी लक्ष्यकी पूर्ति में उतना ही योग देता है जितना कि वह योद्धा जो मोर्चोंपर तीन फुट गहरी खाईमें खड़ा रहता है । यदि हम युद्ध-शास्त्रके, फिर वह चाहे शारीरिक युद्ध हो या आध्यात्मिक, इन तत्त्वोंको नहीं समझेंगे तो हमारा यह सारा बलिदान व्यर्थ चला जायेगा ।

मलाबारका पुननिर्माण

श्री माधवराव और सवेंट्स आफ इंडिया सोसाइटीके अन्य कार्यकर्ताओं तथा यंग मॅन्स क्रिश्चियन एसोसिएशनके मन्त्रियोंने मलाबारके पुनर्निर्माणके सम्बन्धमें संयुक्त रूपसे एक प्रश्नावली जारी की है। इन प्रश्नोंको विस्तारसे तैयार किया गया है; और इनमें सभी विषयोंका समावेश है - आर्थिक, औद्योगिक, शैक्षणिक और नागरिक तथा सामान्य विषय, सबके सब आ गये हैं। मैं इनमें से केवल एकपर विचार करना चाहता हूँ । मेरा मत है कि यह अन्य सभी प्रश्नोंको हल कर देता है। मलाबारके पीड़ित जनोंके पुनर्वासके लिए ऋण तथा अन्य चीजोंकी व्यवस्था करना एक बहुत कठिन काम सिद्ध होगा । परन्तु यदि अभावग्रस्त जनोंको चरखे दिलवा दिये जायें तो अधिकांश प्रश्न अपने-आप हल हो जायेंगे। इस कामको कमसे कम पूँजीसे किया जा सकता है, और इससे मलाबारी लकड़ी-उद्योगमें स्थायी वृद्धि होगी, क्योंकि चरखोंके लिए इस लकड़ीकी बहुत जरूरत है और मलाबारके लिए इस लकड़ीका कोई विशेष महत्त्व नहीं है । इस प्रकार बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के बहुतसे सहायक उद्योगोंको भी शक्ति और प्रोत्साहन प्राप्त हो सकेगा। इसलिए में पुनर्निर्माण योजनाके आयो- जकोंसे इस एकमात्र सुझावपर दिलसे विचार करनेकी सिफारिश करना चाहता हूँ । यह एक ऐसा बुनियादी सत्य है जिसको ध्यानमें रखकर ही अन्य सभी योजनाएँ चलनी चाहिए। ऐसा करनेपर आयोजक देखेंगे कि इस प्रकार तैयार की गई योजनासे बहुत किफायत में काम चल जाता है; और वह कारगर भी है तथा उसमें किसी तरह के अपव्ययकी भी कमसे कम गुंजाइश है ।

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