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१८३. पत्र : अ० भा० कां० कमेटीके अध्यक्षको

बारडोली
२२ फरवरी, १९२२

सेवा में

अध्यक्ष कार्य समिति,

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी, दिल्ली
महोदय,

पिछली ३१ जनवरीको सूरत में हुई कार्य समितिकी बैठक में निम्नलिखित प्रस्ताव पास किया गया था :

यह कार्य समिति लिखित रूपसे अपनी यह दृढ़ धारणा व्यक्त करती है कि भारतकी राजनीतिक दशाके बारेमें विदेशों में सही खबरें पहुँचाना नितान्त आवश्यक है[१]और विदेशों में प्रचार सम्बन्धी सारा पत्र-व्यवहार जो इस समितिके मन्त्रीके पास है वह सबका सब महात्मा गांधीके हवाले करती है। और प्रार्थना करती है कि वे शीघ्र ही इस सम्बन्ध में एक निश्चित योजना तैयार करें ताकि यह समिति अगली बैठकमें उसपर विचार कर सके ।

प्रस्तावपर तथा मन्त्री महोदय द्वारा मेरे पास भेजे गये कागजोंको पढ़ने तथा उनके मजमूनोंपर विचार करने के बाद मेरा निवेदन है :

मेरे विचारसे वर्तमान स्थितिमें यह न केवल अवांछनीय है वरन् हानिकर सिद्ध हो सकता है कि किसी अन्य देशमें कोई ऐसा कार्यालय स्थापित किया जाये जो उस देश में भारतकी राजनैतिक दशाकी सही जानकारी कराता रहे। मैं ऐसा क्यों मानता हूँ इसके कारण नीचे दिये जाते हैं :

अव्वल तो यह है कि उससे जनताका ध्यान बँट जायेगा, और बजाय इसके कि लोगोंको इसकी अनुभूति होने लगे कि हमें पूरी तरह अपनी शक्तिपर निर्भर रहना है, वे इस विषय में विचार दौड़ाने के लिए विवश होंगे कि हमारे प्रचारका विदेशों में क्या असर हो रहा है और विदेशोंसे राष्ट्रीय उद्देश्यको क्या सहायता प्राप्त हो सकती है। इसका यह अर्थ नहीं कि हम संसारकी सहायताकी परवाह ही नहीं करते परन्तु उसकी मदद पानेका तरीका यही है कि हममें अपने प्रत्येक कामको ठीकसे करने का आग्रह हो और इसका विश्वास रखें कि सत्यमें स्वयं ही अपना प्रसार करनेकी क्षमता है।

  1. दिसम्बर १९२० में दो बातें तय की थीं। एक तो यह कि विदेशों में किया जानेवाला प्रचार- कार्य बन्द किया जाये और दूसरे ब्रिटिश कांग्रेस कमेटी तथा उसके द्वारा लन्दनसे प्रकाशित होनेवाले इंडियाका प्रकाशन बन्द कर दिया जाये । देखिए खण्ड १९, पृष्ठ १८६ ।