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१८१. पत्र : विजयलक्ष्मी पण्डितको
[ बारडोली
१९ फरवरी, १९२२ ]
प्रिय सरूप,[१]
अगर तुम्हारा खयाल है कि उपर्युक्त पत्रसे[२] लखनऊ के बन्दियोंको कुछ ढाढ़स मिल सकता है तो अगली बार जब तुम जवाहरलालसे मिलो तब इसको पढ़कर सुना देना । वैसे भी मुझे जरूर बताना कि वहाँके क्या हाल-चाल हैं। आशा है, तुम लोगों में से कोई दिल्ली आ रहा है । तुम्हारे नाम लिखे पिताके पत्रोंमें से एक रणजीतने मेरे पढ़ने के लिए भेजा था ।
तुम्हारा,
बापू
[ पुनश्च : ] प्यारेलाल बताते हैं कि तुम्हारे नाम भेजा पत्र देरसे मिलने की सम्भावना रहती है । इसलिए यह पत्र दुर्गाकी मार्फत भेजा जा रहा है ।
[ अंग्रेजीसे ]
ए बंच ऑफ ओल्ड लेटर्स
ए बंच ऑफ ओल्ड लेटर्स
१८२. तार : देवदास गांधीको
बारडोली
२० फरवरी, १९२२
देवदास गांधी
कांग्रेस कमेटी
बापू
यदि सम्भव हो तो दिल्ली अवश्य आओ ।[३]
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७९४५ ) की फोटो - नकलसे ।