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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अनुभव करें कि उनकी दूसरी बहनें भी उनका अनुसरण करनेको तत्पर हैं । यह सम्भव है कि जेल-जीवन और उसके कारण वहनों को जो तकलीफें झेलनी पड़ सकती हैं उन्हें सोचकर अधिक संख्या में स्त्रियाँ सामने न आयें । यदि प्रारम्भमें थोड़ी ही बहनें इसके लिए तैयार हों तो यह राष्ट्रके लिए लज्जाका कारण नहीं हो सकता ।

पुरुषोंका कर्त्तव्य स्पष्ट है । हमें उत्तेजित नहीं हो उठना चाहिए । उत्तेजित होनेसे देश अथवा हमारी नारी जातिकी रक्षा न होगी । हमने सरकारसे कहा है कि नारियों और बच्चोंका भी लिहाज न करे । पंजाब में मार्शल लॉके उन दिनोंमें निश्चय ही उसने उनका लिहाज नहीं किया था । निस्सन्देह कलकत्ता के अधिकारियों द्वारा कमसे-कम कानूनका नाम लेकर उक्त महिलाओंके कामको गैर-कानूनी कहकर उन्हें गिरफ्तार कर लेना पंजाब के मनियाँवाला के उस कृत्यसे बहुत अच्छा है जिसमें बॉसवर्थ स्मिथ-जैसे लोगोंने औरतोंपर थूका, उन्हें गालियाँ दीं या अन्य प्रकारसे अपमानित किया था ।' हम अपनी महिलाओंको ऐसे अपमानकी कल्पना करके आगे आनेको नहीं कहते; अलबत्ता यदि जनताकी सेवा करनेको सरकार अपराध मानकर उन्हें गिरफ्तार करे तो हम बेशक उन्हें आगे आने के लिए कहते हैं । हमें यह आशा नहीं करनी चाहिए कि हमारी महिलाएँ स्वदेशीका प्रचार करके विदेशी कपड़े का आयात और फलस्वरूप सत्ता द्वारा भारतकी साधन-सम्पत्ति के शोषणको बन्द करके इस सत्ताके आधार को खोखला बनाती रहें और सरकार चुप बैठी रहेगी । अतः यदि हम लोग अपनी महिलाओंका स्वदेशी आन्दोलन में भाग लेना ठीक समझते हैं तो पुरुषोंकी ही तरह उन्हें गिरफ्तार करने के सरकारके अधिकारको भी हमें मान लेना चाहिए ।

इसलिए हम उत्तेजित न हों । पहले द्वन्द्व के लिए चुनौती देना और चुनौती स्वीकार कर लिये जानेपर विरोधीको भर्त्सना करना कायरता होगी । पुरुष जेलोंको भर दें और सरकार के सामने यह सिद्ध कर दें कि जागृति केवल कुछ ही लोगोंमें नहीं आई है बल्कि जन-जनमें व्याप्त हो गई है और इसी तरह अहिंसा की भावना भी केवल कुछ एक लोगों में ही नहीं, देशके ज्यादातर लोगों में घर कर गई है । हमें अपने व्यवहारसे दिखा देना चाहिए कि जो आकस्मिक विस्फोट हुआ वह अपवाद था, किसी आम बीमारीका लक्षण नहीं । तथा अब, जब कि हमारे उत्तेजित हो जानेका लगभग सर्वाधिक प्रबल कारण उपस्थित है, हम अधिकसे-अधिक सहिष्णुता तथा आत्मनियन्त्रण-का परिचय दें । मैंने विशेषण के पहले क्रिया-विशेषणका प्रयोग करके उसे सौम्य बनाया है। क्योंकि मेरी समझ में सर्वाधिक उत्तेजनाका अभीतक अवसर नहीं आया है । मैं ऐसे अवसरोंकी कल्पना कर सकता हूँ जिनसे असीम उत्तेजना फैल सकती है । यदि हमें स्वराज्य प्राप्त करना है तथा खिलाफत और पंजाबको प्रतिष्ठाकी रक्षा करनी है तो उसके लिए हमें अधिक मूल्य चुकाना चाहिए तथा अधिकसे-अधिक जितनी उत्तेजना सम्भव है उसके बीच भी चित्तकी स्थिरता नहीं छोड़नी चाहिए । हम सरकारकी ओरसे बुरेसे-बुरे व्यवहार के लिए भी तैयार रहें तथा कमसे- कम अच्छे व्यवहारकी अपेक्षा करके उसे सज्जनताका श्रेय दें । हमें निस्संकोच भावसे स्वीकार करना चाहिए

१. देखिए खण्ड १७, पृष्ठ १२८-३२२ ।