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आप जो स्वतन्त्रता चाहते हैं उसका अधिकांश आपको इतना करनेसे ही मिल जायेगा और अब तो आप सविनय अवज्ञाके योग्य तभी बन सकेंगे जब आप इतनी स्वतन्त्रता सुव्यवस्थित ढंगसे प्राप्त कर लें ।

प्रत्येक गुजरातीसे

जो बात बारडोली के निवासियोंपर लागू होती है वही प्रत्येक गुजरातीपर भी लागू होती है । सविनय अवज्ञा बन्द रहने का तात्पर्य यह है कि हम उसके लिए और अधिक योग्यता प्राप्त करें । अतएव हमें कांग्रेस द्वारा निश्चित रचनात्मक कार्यको पूरा करनेमें लग जाना चाहिए।

मैं जानता हूँ कि अब्बास साहबके खेड़ा जिलेको, जो भारी उत्साह दिखा रहा था, बहुत निराशा होगी। जो व्यक्तिगत रूपसे सविनय अवज्ञा करनेके लिए तैयार हो रहे थे उन्हें अब कर देना बहुत अखरेगा। लेकिन उनकी सिपहगरी तो इसीमें है कि वे ऐसा न मानें और कर देकर रचनात्मक कार्यमें तल्लीन हो जायें । अब हम देख सकते हैं कि प्रत्येक व्यक्तिको कांग्रेसका सदस्य बनने के लिए राजी करना और उसकी वार्षिक आयका एक प्रतिशत भाग प्राप्त करना उससे जेल जानेकी बातको स्वीकार करवाने की अपेक्षा कहीं अधिक मुश्किल काम है । जब हम इन सब कार्योंको पूरा कर लेंगे तब केवल बारडोली ही नहीं, समस्त गुजरात सविनय अवज्ञा आरम्भ कर सकेगा ।

अहमदाबाद और सूरत - निवासियोंसे

राष्ट्रीय स्तरपर सविनय अवज्ञा बन्द हो गई है लेकिन आपके पास तो सुवर्ण अवसर है। आपको स्थानीय तकलीफ है और आप अपने स्थानीय जौहरको अच्छी तरह सिद्ध कर सकते हैं । सरकारने आपकी इच्छा के विरुद्ध अपनी समितियाँ नियुक्त की हैं।[१]उनमें आपके साथी नागरिक काम करनेके लिए तैयार हो गये हैं, यह देखकर मुझे तो बहुत दुःख हुआ है। लेकिन उससे निराश होनेकी कोई जरूरत नहीं । वे लोग नागरिकोंके सहयोग के बिना काम-काज नहीं चला सकेंगे। उन समितियोंके स्कूलों में आपके बच्चे तभी जा सकेंगे जब आप उन्हें भेजेंगे, आप अपनी इच्छा विरुद्ध कर भी न दें। फिर चाहे एक ओर आपकी इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती नियुक्त की गई सरकारी समितियाँ काम करें तथा दूसरी ओर आप लोगोंकी अपनी संस्था । उस हालत में लोगों को मालूम हो जायेगा कि कौन किसके साथ है ।

इस कार्यको आप अत्यन्त विनम्रतापूर्वक तथा अत्यन्त शान्तिके साथ चला सकते हैं । [ सरकार द्वारा नियुक्त ] समितियोंके साथ सलाह-मशविरा करके आप जितना भार उठा सकते हैं उतना आप उठा लें और जो आपके बसका न हो उसे छोड़ दें। मैं दोनोंके बीच एक सभ्यतापूर्ण संघर्ष देखनेके लिए उत्सुक हूँ । यदि कोई एक पक्ष

 
  1. सरकारकी इस कार्रवाईके लिए जिम्मेदार परिस्थितियोंके लिए देखिए “नगरपालिकाओंपर विपत्ति ", १५-१२-१९२१ ।