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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


अनुसरण करेंगे और उत्साह के साथ उसके बताये रचनात्मक कार्योंमें लग जायेंगे । इस रचनात्मक कार्यक्रमके द्वारा तमाम दलोंमें जिनका लक्ष्य एक ही है- यानी खिलाफत,पंजाब और स्वराज्य- एकता हो जानी चाहिए ।

एक मूक कार्यकर्त्ता

आन्ध्र देशका एक सबसे अच्छा मौन कार्यकर्त्ता चल बसा। के० हनुमन्तरावने मसूलीपट्टमकी महान् शैक्षणिक संस्थाके[१] लिए, जो आन्ध्र देशका गौरव है, बहुत परिश्रम किया। वह उसीके लिए जिये और उसीके लिए मरे । डा० पट्टाभि सीतारामैयाने[२] उनके बारेमें यह मार्मिक पत्र[३] लिखा है : स्वर्गीय हनुमन्तरावके मित्रोंने उनके एक स्मारक के हेतु एक लाख रुपयेकी अपील प्रकाशित करने में देर नहीं की है। इस धनको व्यर्थ के दिखावेमें इस्तेमाल करने का इरादा नहीं है । यह रकम तो उस संस्थाकी आर्थिक स्थिति दृढ़ बनाने में लगाई जायेगी, जिसके लिए हनुमन्तरावने रात-दिन एक कर दिया था। मैं इस अपीलकी सिफारिश जोरोंके साथ न केवल प्रत्येक आन्ध्रवासी देशभक्तसे करता हूँ वरन् उन अन्य सब लोगोंसे भी करता हूँ जो हनुमन्तरावको जानते थे या उनकी महान् संस्थामें कभी गये थे ।

आगा मुहम्मद सफदर

यद्यपि लाला लाजपतराय के उत्तराधिकारी आगा मुहम्मद सफदर एक बार गिरफ्तार हुए, इजलास में उनपर मुकदमा चला और सियालकोट के मजिस्ट्रेटने उन्हें रिहा भी किया, लेकिन यह उम्मीद नहीं की जा सकती थी कि वे अधिक दिनोंतक जेलके बाहर रह सकेंगे । अब वे फिरसे गिरफ्तार कर लिये गये हैं और उनपर लाहौर में अभियोग चलाया जायेगा । सियालकोटसे कोई १८ मीलकी दूरीपर स्थित घरताल नामक स्थानपर जहाँ वे एक सभा में व्याख्यान देनेवाले ही थे कि गिरफ्तार कर लिये गये । वहाँ एक हजार से अधिक गांववाले उपस्थित थे । हिंसा जरा भी नहीं की गई थी । उनके पकड़े जाने के बाद आगा साहबके साथियोंने सभाका काम पूर्ववत् चलाया, मानो कहीं कुछ हुआ ही न हो ।

सिख- गौरव

सिखोंमें जो जागृति दीख पड़ रही है वह वास्तव में आश्चर्यजनक लगती है । अकाली दल अहिंसाका एक प्रभावशाली दल बन गया है, यही नहीं, वह श्रेष्ठ आचार और व्यवहारका अनुकरणीय नमूना पेश कर रहा है। गुरुद्वारा समिति अब पण्डित

 
  1. आन्ध्र जातीय कलाशाला ।
  2. १८८०-१९५९; चिकित्सक, राजनीतिज्ञ और लेखक; जन्मभूमिके सम्पादक; १९४९ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष; मध्यप्रदेशके राज्यपाल ।
  3. यहाँ उद्धृत नहीं किया गया है; इसमें हनुमन्तरावकी मृत्युका हवाला दिया गया था और जिसा संस्थाके लिए उन्होंने काम किया था उसके लिए कोषकी अपील की गई थी ।