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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
आगा साहब सफदर

अभी-अभी, तार नहीं बल्कि पत्र मिला है कि आगा साहब इसी १० तारीख-को स्यालकोटमें, जहाँ वे अल्पकालके लिए दौरेपर गये थे, गिरफ्तार कर लिये गये हैं । उनके पीछे-पीछे एक बहुत बड़ी भीड़ भी गई । आगा साहब ने कहा कि वे वारंटके बिना नहीं जायेंगे, हाँ उन्हें पुलिस जबरदस्ती भले ही ले जाये । अन्तमें मजिस्ट्रेटको आकर उनकी गिरफ्तारीका हुक्म देना पड़ा । यद्यपि मजिस्ट्रेट यह नहीं बता सका कि वे क्यों गिरफ्तार किये जा रहे हैं; फिर भी आगा साहबने उस हुक्मको खुशीसे मान लिया । ज्यों ही जेलका फाटक खोला गया; भीड़में से कुछ लोग दौड़कर भीतर घुस गये और आगा साहब के साथ ही गिरफ्तार किये जाने का आग्रह करने लगे । उन लोगोंको स्वभावतः बाहर निकाल दिया गया । संवाददाताने यह भी लिखा है कि भीड़-ने मजिस्ट्रेटका अपमान किया था । मैं आगा साहबको बधाई देता हूँ; किन्तु मैं भीड़-को बधाई नहीं दे सकता, क्योंकि उसके लिए आगा साहबके पीछे जाना ठीक नहीं था । जो लोग जेलमें घुसे उन्होंने अहिंसाकी प्रतिज्ञाके अनुसार तो दुर्व्यवहार किया और जिन्होंने मजिस्ट्रेटका अपमान किया उन्होंने अपने ही उद्देश्यको हानि पहुँचाई, वे प्रतिज्ञाको भंग करनेके ही नहीं, बल्कि कायरता दिखाने के भी अपराधी हैं । मेरी जानकारी के अनुसार पुलिस के सिपाहियोंकी संख्या कम थी और उनके अधिकारीने शिष्टताका व्यवहार किया था । कदाचित् हमारे अहिंसापर विश्वास करनेके कारण मजिस्ट्रेटकी रक्षाकी व्यवस्था भी अपर्याप्त थी । मैं असहयोगियोंको चेतावनी देता हूँ कि यदि हम अपनी प्रतिज्ञाको तनिक भी भंग करेंगे तो स्वराज्य मिलना टल जायेगा यद्यपि वह तेजीसे हमारी ओर आता दिखता है । हमारा आदर्श होना चाहिए-- मनसा वाचा कर्मणा अहिंसाका पालन ।

मुझे मालूम हुआ है कि आगा साहबने लाला दुनीचन्दको अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया है । मेरी शुभ कामना है कि जिस प्रकार आगा सफदर साहबको जेल जानेका सौभाग्य मिला है उसी प्रकार नये अध्यक्षको भी मिले ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, १५-१२-१९२१

१. पंजाब प्रान्तीय कांग्रेसके अध्यक्षके रूपमें ।