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 लेकिन असहयोगियोंको सरकारकी ऐसी गैरकानूनी हरकतोंसे कुपित न होना चाहिए। उन्हें धैर्य के साथ कष्टसहन करते हुए उसे परास्त करना है। उनके मनमें 'बदले' का विचारतक न आना चाहिए। मैं यहाँ प्रति सप्ताह सरकारी दमनकी जो घटनाएँ इकट्ठी कर देता हूँ उसका उद्देश्य यह सिद्ध करना है कि सरकार में बलप्रयोगकी असीम क्षमता है । इसलिए सरकार जितना ही अधिक बलप्रयोग करे उतना ही अधिक हम उसे सहन करने की शक्ति अपने में लाने का प्रयत्न करें। तभी हम पशुबलपर आधारित सरकारके स्थानपर लोकमतपर आधारित सरकारकी स्थापना कर सकेंगे । हाँ, बलका प्रयोग तो लोक-संचालित सरकार होनेपर भी करना पड़ेगा; पर उस अवस्था में उसका प्रयोग जैसा कि दूसरे देशोंमें होता है सिर्फ उन्हीं लोगोंपर होगा जो लोकमतका विरोध बलके द्वारा करनेकी कोशिश करेंगे। श्री मॉन्टेग्यु यह कहकर कि तमाम यूरोपकी सरकारें पशुबलपर ही आधारित हैं, नरम दलवालोंको बिलकुल गलत रास्तेपर ले गये हैं । लन्दन या पेरिसमें शान्तिमय जनसमूहको, चाहे वह गैरकानूनी तौरपर ही एकत्र हुआ हो, बलपूर्वक तितर-बितर कर देना असम्भव होगा । हाँ, यदि वह जनसमूह बलप्रयोग करने या उसका प्रचार करनेके लिए एकत्र हुआ हो तो बात दूसरी है ।

क्या-क्या स्थगित ?

लेकिन चौरीचौराने असहयोगियोंके सामने एक नया ही कर्त्तव्य उपस्थित कर दिया है। कार्य समितिकी एक बैठक में यह प्रस्ताव[१] स्वीकार किया गया है कि असहयोगी लोग फिलहाल सविनय कानून-भंगकी तमाम हलचलें, क्या सामूहिक और क्या वैयक्तिक, स्थगित कर दें। जबतक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी बैठक नहीं हो जाती सभी तरहकी सविनय अवज्ञा, आक्रामक हो या प्रतिरक्षात्मक, स्थगित रहनी चाहिए। मैं आशा कर रहा हूँ कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी कार्य समितिके प्रस्तावको स्वीकार कर लेगी। मेरी राय में तो सामूहिक कानून-भंग बहुत समयतक- कमसे-कम इस सालके अन्ततक-बन्द रहना चाहिए। यह साफ जाहिर है कि हम अभी तक जन-समाजपर आवश्यक नियन्त्रण स्थापित नहीं कर पाये हैं । वैयक्तिक आक्रामक सविनय अवज्ञा भी कुछ समय के लिए बन्द रहनी चाहिए । लेकिन कांग्रेसकी दूसरी तमाम मामूली हलचलोंके बारेमें, जो कि निषिद्ध भले ही हों पर हमारे उद्देश्य साधनके लिए आवश्यक हैं, कार्य समितिने विचार नहीं किया है । वे पूर्ववत् चलती रहें, भले ही सरकार उन्हें निषिद्ध कर दे। इस प्रकार हमें अपनी प्रतिज्ञाके यथावत् पालनकी खातिर स्वयंसेवकोंकी भरती अवश्य करनी चाहिए। यह भरती सरकारी हुक्मोंको भंग करनेके लिए नहीं बल्कि कांग्रेसके वास्तविक कार्यके लिए करनी चाहिए। इसी तरह हमें खादीका प्रचार भी बराबर करते रहना चाहिए। कार्य समितिने विदेशी कपड़ोंकी दूकानोंपर धरना देना भी फिलहाल बन्द कर रखा है। उसने सिर्फ शराबकी दूकानोंपर ही धरना देनेकी इजाजत दी है और सो भी अच्छे चरित्रवाले लोगों द्वारा । अतएव मैं आशा करता हूँ कि तमाम कार्यकर्त्ता सच्चे दिलसे कार्य समिति के प्रस्तावों का

 
  1. देखिए “ प्रस्ताव : वारडोली कार्य-समितिके ", १२-२-१९२२ ।