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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

श्री जयरामदास दुबले हो गये हैं । जेलोंके महानिरीक्षक (इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिजंस) ने उन्हें 'टाइम्स ऑफ इंडिया' और 'सिन्ध आब्जर्वर' पढ़नेको अनुमति दे दी थी, किन्तु बम्बई सरकारने एक आदेश द्वारा इन समाचार- पत्रोंका उनके पास भेजा जाना बन्द कर दिया है। महानिरीक्षकने उन्हें बाहरसे पुस्तकें मँगाने और दस बजे राततक लैम्पका इस्तेमाल करनेकी अनुमति भी प्रदान की थी। किन्तु उच्च अधिकारियोंने इसे भी बन्द कर दिया है। हाल में जारी किये गये सरकारी आदेश इस आशयके हैं कि राजनैतिक बन्दियोंको किसी प्रकारकी रियायतें न दी जायें और उनके सम्बन्धमें भी दैनिक तलाशीका नियम बरता जाये। मौलाना हसन अहमद और दो अन्य कैदियोंने भी तलाशी देने से इनकार कर दिया, इसलिए उन सबको सजाके रूपमें रातमें हथकड़ियाँ पहना दी गईं। यह सजा तीन दिनतक दी जानी है। अगर फिर भी वे न मानें तो अन्य सजाएँ भी दी जायेंगी। उन्हें यदि कोड़े भी लगाये जायें तो आश्चर्यको बात नहीं होगी। हथकड़ियों की वजहसे वे रातमें ठीक तरह से सो नहीं पाते और रातको पेशाब वगैरहको हाजत रफा नहीं कर सकते । दिनमें उन्हें काममें लगाया जाता है। हथकड़ियोंकी वजहसे जो शामके ६ बजेसे सुबह ६ बजेतक हाथों में कती रहती हैं, मौलाना हसन अहमद अपनी नमाज नहीं पढ़ पाते। शुरू में श्री जयरामदासको जूते पहनने की इजाजत दी गई थी, परन्तु यह भी निषिद्ध कर दिया गया है।

यदि सरकार में हिम्मत हो तो इन गम्भीर आरोपोंका खण्डन करे ।

कांग्रेसके दफ्तर गैरकानूनी

फरीदपुर कांग्रेसके मन्त्रीने जो पत्र भेजा है उससे स्थिति स्वयं ही स्पष्ट हो जाती है।[१] जब इस पत्र में वर्णित ढंगसे लोगोंपर अत्याचार किया जा रहा हो तब उन्हें यह बताना कि उन्हें क्या करना चाहिए, आसान काम नहीं है । यहाँ सबसे बड़ी बात है कि लोग हिम्मत न हारें । मुमकिन है कि मकान मालिक इस नोटिससे डर जायें और हमें दफ्तर खोलने के लिए अपने मकान किरायेपर न उठायें। तो इस दशा में जबतक हम जेलके बाहर हैं तबतक खुली जगहों में दफ्तर चलायें। यदि वे हम सब लोगोंको जेलमें ले जायें और एक ही जगह रखें तो हम वहीं आपस में बातचीत और सलाह-मशविरा किया करें और जैसा कि हमारे साथी आगरा जेलमें कर रहे हैं, उसी तरह हम भी वहाँ चरखा चलायें, मिली-जुली प्रार्थना सभाएँ करें और उनमें सभी धर्मोके भजन गायें, और जिस हदतक जेलके नियमों के अन्तर्गत सम्भव हो, उस हदतक मिल-जुलकर दूसरे काम करें, और इस प्रकार जेलों में ही

 
  1. उक्त पत्र यहाँ नहीं दिया जा रहा है। उसमें बताया गया था कि कांग्रेस दफ्तर किस तरह तोड़े गये, स्वयंसेवक कैसे पीटे गये और किस प्रकार मकान मालिकोंसे यह कहा गया कि अवैध सभाओं या कार्यालयोंके लिए वे अपने मकान न दें ।