पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/४४६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

१६९. पत्र : सर डेनियल है मिल्टनको

बारडोली
१५ फरवरी, १९२२

प्रिय महोदय,

श्री हाजने[१]लिखा है कि आप मेरे साथ घण्टा भर बातचीत करना चाहते हैं और सुझाया है कि इस दिशा में पहल मैं ही करूँ, सो खुशी-खुशी वैसा कर रहा हूँ । आपके इस समयका उपयोग मैं अपनी किसी प्रवृत्तिकी चर्चामें नहीं सिर्फ अपने चरखा सम्बन्धी कार्य में ही आपकी दिलचस्पी पैदा करनेमें करूंगा। मेरी जितनी भी बाहरी प्रवृत्तियाँ हैं, मेरा निश्चित मत है कि चरखा उनमें सबसे अधिक स्थायी और कल्याणकारी है। मैं बराबर कहता रहा हूँ कि चरखा भारतके करोड़ों घरोंसे दरिद्रताके दुःखको दूर कर देगा, और अकालके खिलाफ यह सुरक्षाका एक बहुत बड़ा साधन है । अब अपनी इस बातको पुष्ट करने के लिए मेरे पास प्रचुर प्रमाण मौजूद हैं ।

डा० प्रफुल्लचन्द्र रायको तो आप जानते ही हैं, लेकिन आपको शायद यह मालूम न हो कि अब वे चरखेके भी एक बहुत उत्साही समर्थक बन गये हैं।[२]आधुनिक अर्थों में भारत के औद्योगीकरणकी कोई जरूरत नहीं है । १,९०० मील लम्बे और १,५०० मील चौड़े इस विशाल भूभागमें ७,५०,००० गाँव बसे हुए हैं। लोग जमीनसे बँधे हुए हैं और उनमें बहुत बड़ी संख्या ऐसे लोगोंकी है जो मुश्किलसे किसी तरह अपना रोटी कपड़ा ही जुटा पाते हैं । चाहे कोई कुछ कहे, किन्तु मैंने तो खुली आँखोंसे सारे देशका भ्रमण करके और करोड़ों लोगोंके सम्पर्क में आकर जो कुछ देखा है, उससे निस्सन्देह यही सिद्ध होता है कि गरीबी दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है । इसमें भी कोई सन्देह नहीं कि करोड़ों लोग हर साल चार महीने मजबूरन बेकार रहते हैं । कृषि में कोई क्रान्तिकारी परिवर्तन करने की जरूरत नहीं है। भारतीय किसानोंको बस किसी पूरक उद्योगकी जरूरत है, और सबसे सहज-स्वाभाविक हाथ करघा नहीं बल्कि चरखेका प्रचलन करना है । करघेका प्रचलन घर-घरमें नहीं हो सकता, लेकिन चरखेका हो सकता है, और सौ साल पहले ऐसी ही स्थिति थी भी । किन्तु चरखेका प्रचलन समाप्त हो गया—सो कुछ आर्थिक दबावके कारण नहीं । प्रामाणिक रेकर्डोंसे यह सिद्ध किया जा सकता है कि उसे तो जान-बूझकर जोर-जबरदस्तीसे ही समाप्त किया गया। इसलिए उसके पुनरुद्धारसे भारतकी आर्थिक समस्या आनन-फानन में हल हो जायेगी। मैं जानता हूँ कि आपको भारतसे बड़ा प्रेम है और मेरे देश के आर्थिक एवं नैतिक उत्थान में आपकी गहरी दिलचस्पी है । मैं यह भी जानता हूँ कि आपका प्रभाव

 
  1. श्री हाज सर डेनियल और गांधीजी, दोनोंके मित्र थे ।
  2. देखिए " चरखेके बारेमें डा० रायके विचार", २-२-१९२२ ।