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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कदापि न पड़ना । पीड़ा तो केवल प्रसूताको ही सहनी पड़ती है, दूसरे तो मदद ही कर सकते हैं । आज (एसोसिएटेड) प्रेसको तार भेजा है।

[ गुजरातीसे ]
बापुनी प्रसादी

१६६. पत्र : चिमनदास ईश्वरदास जगतियानीको

बारडोली
१४ फरवरी १९२२

प्रिय चिमनदास,[१]

तुम्हारा पत्र मिला ।

भारतमें वातावरण के बारेमें तुमने जो बातें कही हैं मैं उनसे सहमत हूँ । तुम देखोगे कि कार्य समिति सही निर्णयपर पहुँची है। मैं सिर्फ यही आशा कर रहा हूँ कि सभी विभिन्न समितियाँ हृदयसे सहयोग करेंगी। यदि वे ऐसा करती हैं, तो हमें किसी भी तरह की कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। मगनलाल[२]यहीं है; उससे मैं तुम्हारे लिए एक बुनकर सिन्ध में भेजने के बारेमें बात करूँगा । उसने मुझे बताया है कि वह पहले ही तुम्हें एक पत्र लिखकर एक प्रशिक्षक भेजनेका प्रस्ताव दे चुका है । प्रशिक्षक वह व्यक्ति होता है जिससे बुद्धिमान लोग अपने-आप सीख सकते हैं । एक अध्यापक प्रशिक्षकसे कुछ अधिक होता है । उसमें काम सिखाने की स्वाभाविक क्षमता अवश्य होनी चाहिए। आश्रम में ऐसे व्यक्ति अधिक नहीं हैं, किन्तु एक प्रशिक्षकको जो सर्वथा योग्य है, आसानीसे भेजा जा सकता है । तुम तथा अन्य कुछ लोग उससे यह कला सीख सकते हो ।

हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी

श्री चिमनदास

कांग्रेस बुनाई - आश्रम

हैदराबाद (सिन्ध)

अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० ५७३६) की फोटो - नकलसे ।

 
  1. डाक्टर चिमनदास ईश्वरदास जगतियानी, सिन्धके एक कांग्रेसी नेता ।
  2. मगनलाल गांधी (१८८३-१९२८ ); खुशालचन्द गांधीके पुत्र और गांधीजीके भतीजे । एक समय फीनिक्स आश्रम और बादमें सत्याग्रह आश्रम, साबरमतीके व्यवस्थापक ।