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पत्र : मथुरादास त्रिकमजीको

मैं तुम्हें निम्नलिखित तार भेज रहा हूँ

तुम्हारा तार । कार्य समितिने बड़े पैमानेपर सविनय अवज्ञा अनिश्चित कालके लिए स्थगित कर दी है और आक्रामक प्रकारकी अन्य छोटी प्रवृत्तियाँ भी । प्रायश्चित्तके रूपमें और उन लोगोंको चेतावनी के रूपमें, जिन्होंने मेरे नामपर सिपाहियों की निर्दयतापूर्वक हत्या की है शुक्रवार शामतक उपवास कर रहा हूँ । अपराधियोंको अपना अपराध स्वीकार करने और अपने-आपको अधिकारियोंके हवाले कर देनेकी जोरदार सलाह दे रहा हूँ। तुम उपवास मत करना । चिन्ता न करके काम करो और प्रार्थना करो।"

तुम नियमपूर्वक तार और पत्र लिखते रहो । मालवीयजीको दो-चार दिनोंमें वहाँ पहुँच जाना चाहिए ।

बापूके आशीर्वाद

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, ७-१०-१९२३

१६४. तार : जहूर अहमदको[१]

[१२ फरवरी, १९२२के पश्चात् ][२]

तारके लिए धन्यवाद । [ मेरे निर्णयका ] उलटा अर्थ लगाया जाना अपरिहार्यं । परन्तु ईश्वर हमारे साथ । लोगों के समर्थन के बजाय हम उसकी ओर निहारें ।

गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
सेवन मन्थ्स विद महात्मा गांधी

१६५. पत्र : मथुरादास त्रिकमजीको

सोमवार, १३ फरवरी, १९२२

रहा नहीं गया। शुक्रवारकी साँझको उपवास टूटेगा। इससे कम तो सम्भव ही नहीं लगा। यह तो कमसे कम है। मुझे इसमें कुछ कष्ट नहीं होनेवाला है । तुम बेफिक्र रहना । तबीयतको खूब सँभालकर रखना । स्वयं उपवास [ करनेके चक्कर ] में

 
  1. केन्द्रीय खिलाफत समितिके ।
  2. साधन-सूत्रमें इस बातका उल्लेख है कि यह तार जहूर अहमदके उस तारके जवाब में दिया गया था जिसमें गांधीजी द्वारा सविनय अवज्ञाके मुल्तवी किये जानेपर बम्बई में 'क्षोभ' व्याप्त होनेकी बात की गई थी । कार्य समितिने ११-१२ फरवरी, १९२२ की अपनी बारडोलीकी बैठकमें इस निर्णयकी पुष्टि की थी।