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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


ब्रह्मचारी के लिए व्यायाम तो सामान्य बात होती है । उसके लिए खुली हवाकी काफी जरूरत होती है। हमें तो खुली हवामें रहनेका चाव ही नहीं होता । गन्दी हवासे शरीर जितना दुर्बल होता है उतना किसी दूसरी बाहरी चीजके असरसे नहीं होता । जिसका धन्धा ऐसा हो कि उसमें शरीरका पूरा व्यायाम न होता हो उस युवकको नित्य दो घन्टे घूमनेका श्रम अवश्य करना चाहिए। वह सामान्य चालसे, शरीरको सीधा और दृष्टिको जमीनकी ओर रखकर और शान्तचित्त होकर एकान्त में स्वच्छ स्थानमें घूमे। इस समय ज्यों-ज्यों उसके फेफड़े स्वच्छ हवासे साफ होते जायें त्यों-त्यों यदि वह अपने हृदय और मस्तिष्कको भी शुद्ध करता जाये तो उसके शरीर और मन अवश्य ही बलवान होंगे । ब्रह्मचारीको मिताहारी ही नहीं बल्कि अल्पाहारी भी होना चाहिए। उसका शरीर कर्ममें प्रवृत्त रहते हुए भी बहुत ही कम क्षीण होता है; इसलिए उसे कमसे कम भोजनकी जरूरत पड़ती है । उसको भोजन मसालों और मिष्टान्नोंसे रहित होना आवश्यक है । जिसे हम भारी आहार कहते हैं, उसके लिए वह भी त्याज्य है । जिन लोगोंको मानसिक काम बहुत रहता है उनके लिए दालें शत्रु-रूप हैं। गेहूँ, दूध और कुछ साग-सब्जी, सम्भव हो तो कुछ ताजे फल इनके अतिरिक्त उसे शायद ही किसी चीजकी जरूरत होती है ।

किन्तु मैं जानता हूँ कि मैं निश्चित मर्यादासे बाहर चला गया हूँ । ब्रह्मचर्य से सम्बन्धित अन्य बहुतसे विषय अभी रहते हैं किन्तु उन सबकी चर्चा एक ही टिप्पणीमें नहीं की जा सकती । जो इस प्रवृत्तिको धार्मिक दृष्टिसे देखते हैं ऐसे भाइयों और बहनोंको इससे अधिक मदद मिल सके इस हेतु मैंने सूरतके उक्त सज्जनके सुझावकी चर्चा करते हुए ये विचार प्रकट किये हैं ।

" कर्मठ" और " रक्षित" स्वयंसेवक

कांग्रेसने स्वयंसेवकोंके दो वर्ग किये हैं । 'एक्टिव' यानी कर्मठ स्वयंसेवक और ' रिजर्व्ड'[१]यानी रक्षित स्वयंसेवक । इनके अर्थके सम्बन्ध में कुछ भ्रम हुआ जान पड़ता है । कुछ लोग ऐसा मानते मालूम होते हैं कि कर्मठ स्वयंसेवक भाषण अथवा प्रदर्शन करेंगे, एक जगह से दूसरी जगह जायेंगे - आयेंगे और रक्षित स्वयंसेवक चरखा चलायेंगे ।

कहा जा सकता है कि यह तो अर्थका अनर्थ करना हुआ । कर्मठ स्वयंसेवकोंका अर्थ है वे स्वयंसेवक जो अपना सारा समय कांग्रेसके कार्य के लिए दे सकें और दें । जो लोग स्वयंसेवकोंमें अपना नाम तो इस कारण अवश्य लिखा देते हैं कि सरकार कांग्रेस के स्वयंसेवक बनना अपराध मानती है किन्तु वास्तवमें कांग्रेसका काम करनेकी आशा नहीं रखते, ऐसे लोग रक्षित स्वयंसेवकोंके वर्ग में आते हैं। अलबत्ता, ये स्वयंसेवक जब जेल जानेके लिए गिरफ्तार होने की जरूरत होती है तब गिरफ्तार होने के लिए निकल पड़ते हैं । इसलिए रक्षित वर्गके स्वयंसेवक अपनी आजीविका कमानेका धन्धा करते रहते हैं और जब जरूरत होती है तब जेल जाने के लिए आगे आ जाते हैं । लेकिन कर्मठ वर्ग के स्वयंसेवक तो चाहे जेल जाना हो या न जाना हो कांग्रेसके कामके लिए अर्पित

 
  1. गांधीजी ने अंग्रेजी शब्दोंका का ही प्रयोग किया है।