है, इसे समयकी विपरीत गति ही कहना चाहिए। ऐसे प्रतिबन्धका उत्तर काठियावाड़ में एक ही दिया जाना चाहिए और वह यह है कि समस्त काठियावाड़ी केवल खादीका ही व्यवहार करने लग जायें। यदि ऐसा किया जा सके तो पोर्ट कमिश्नर साहबको खादीका प्रचार रोकना कठिन हो जायेगा । और चूँकि 'नवजीवन 'की आय सार्वजनिक कार्य में ही प्रयुक्त होती है, इसलिए मैं निष्पक्ष भावसे यह भी कह सकता हूँ कि यदिप्रत्येक लिखना-पढ़ना जाननेवाला मनुष्य 'नवजीवन' मँगाने लग जाये तो वेरावलमें लगाई गई यह रोक व्यर्थ हो जायेगी । जहाँ किसी वस्तु-विशेषका व्यवहार बहुतसे लोग करने लगते हैं वहाँ उसपर रोक लगाना पूर्णतः नहीं तो लगभग अशक्य अवश्य हो जाता है ।
राष्ट्रीय शालाओंके सम्बन्धमें
एक सज्जनने राष्ट्रीय शालाओंके सम्बन्धमें यह चेतावनी दी है कि " प्राथमिक शालाओंकी ओर बहुत कम ध्यान दिया जाता है । यदि इन शालाओंके राष्ट्रीयकरणके पश्चात् इन्हें सुधारनेका कोई प्रयत्न न किया गया और बच्चोंको भटकना पड़ा तो उनके माँ-बाप उकताकर बच्चोंको इन शालाओं में से निकाल लेंगे और यह भी सम्भव है कि वे उन्हें फिर सरकार के आश्रयमें रख दें।" इसमें शक नहीं कि इस बात में बहुत-कुछ तथ्य है। बड़े विद्यार्थियोंमें, जो अपनी जिम्मेदारी समझते हैं, और केवल आठ-दस वर्षके बालकोंमें बहुत बड़ा अन्तर होता है। कम आयुके बच्चोंकी शिक्षाकी व्यवस्था तो तुरन्त की जानी चाहिए। जिन स्थानों में सविनय अवज्ञा नहीं की जा रही है वहाँ लोगोंको इस ओर ध्यान न देनेका कोई कारण भी नहीं है । इन स्थानोंमें यह कार्य सविनय अवज्ञाकी तैयारीका ही एक अंग है, क्योंकि सविनय अवज्ञाकी योग्यता प्रदर्शनोंसे नहीं बल्कि काम करनेसे ही आती है । सविनय अवज्ञाकी तैयारीका अर्थ है खादीका प्रचार और चरखेका प्रसार, सूतकी मात्रा और किस्मको सुधारना, बुनकरोंकी संख्या बढ़ाना, ज्यादा अच्छी पूनियाँ बनाना, शराबखोरीको रोकना, राष्ट्रीय शिक्षाकी जड़ें मजबूत करना, अस्पृश्योंसे मेल-जोल बढ़ाना और ऐसी ही अन्य अनेक रचनात्मक और सृजनात्मक प्रवृत्तियोंको आगे बढ़ाना । इनसे ही सविनय अवज्ञाकी शक्ति आती है । जहाँ सविनय अवज्ञा नहीं की जा रही है वहाँ ऐसी प्रवृत्तियाँ अधिक वेगपूर्वक चलाई जानी चाहिए । इसी तरह कांग्रेसकी संस्थाओंको भी मजबूत बनाना चाहिए । सदस्य बनाने और चार आने चन्दा उगाहनेका काम तो बहुत ही वेगपूर्वक किया जाना चाहिए । कांग्रेस के दफ्तर गाँव-गाँवमें खोले जाने चाहिए और उनमें पाँच अधिकारी चुने जाने चाहिए । यदि ये सब काम न किये जायें तो हम देश भरमें सविनय अवज्ञा करने के योग्य कभी न हो सकेंगे ।
इसलिए मैं आशा करता हूँ कि प्रान्तीय कांग्रेस कमेटियाँ स्वयंसेवकोंको उनके कामके सम्बन्धमें निर्देश भेज देंगी ।
शरीर- सम्पत्ति
जिन सज्जनने प्राथमिक शालाओंके सम्बन्धमें चेतावनी दी है, उन्होंने शारीरिक स्वास्थ्यकी रक्षाके सम्बन्धमें भी चर्चा की है। उनका खयाल है कि ब्रह्मचर्यसे शरीरको