पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/४३३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



४०९
टिप्पणियाँ


किन्तु इस सम्बन्ध में अधिक विचार तो ज्यादा खबर मिलने पर ही किया जा सकता है । ईश्वर भारतकी और असहयोगियोंकी लाजकी रक्षा करे ।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन,१२-२-१९२२

१६२. टिप्पणियाँ

'विश्वासपात्र सेवक' क्यों ?

एक सज्जन लिखते हैं :

आपने माननीय वाइसरायके नाम लिखे गये अपने पत्रमें हस्ताक्षर करते हुए 'विश्वासपात्र सेवक और मित्र' शब्द लिखे हैं । मैं आशा करता हूँ कि यह 'सेवक' शब्द भूलसे लिखा गया होगा । इसे आपने तो अवश्य ही नहीं लिखा होगा ।

मुझे आशा है कि ये सज्जन यह जानकर नाराज नहीं होंगे कि 'सेवक' शब्द मैंने विचारपूर्वक लिखा है । माननीय वाइसरायको मैं एक ऊँचा राजपदाधिकारी मानता हूँ और उन्हें पत्र लिखने में जिस शिष्ट भाषाका प्रयोग किया जाना चाहिए उसका त्याग नहीं करना चाहता । असहयोगका अर्थ असभ्य व्यवहार नहीं है। शान्तिपूर्ण असहयोगका अर्थ सभ्यतापूर्ण असहयोग होता है । असभ्य पुरुषको असहयोग करनेका अधिकार ही नहीं है । इसके अतिरिक्त हम जिससे असहयोग करते हैं उससे तो हमें जान बुझकर अधिक विनययुक्त व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि उससे व्यवहार करनेमें हमें यह भय रहता है कि वह कहीं बुरा न मान जाये और यह न समझ ले कि हमें उससे वैयक्तिक द्वेष है । शान्तिपूर्ण असह्योगका शास्त्र यही कहता है । इसलिए एक असहयोगी के रूपमें में वाइसराय महोदयको लिखे जा रहे पत्र में शिष्टतापूर्ण भाषाका प्रयोग करने के लिए बँधा हुआ था । मैंने 'सेवक' शब्दके साथ 'मित्र' शब्दका प्रयोग भी सोच-समझकर किया है । इसका प्रयोग करके मैंने यह बताया है कि मैं सेवक तो अवश्य हूँ किन्तु गुलाम नहीं हूँ । मनुष्य सेवक शब्दका प्रयोग करते हुए शत्रु भी हो सकता है। मैं किसीको भी शत्रु समझना नहीं चाहता, मैंने अपना यह धर्म 'मित्र' शब्दका प्रयोग करके व्यक्त किया है । फिर इस शब्द के प्रयोगसे मैंने अपना यह निश्चय बताया है कि मैं अंग्रेजोंसे नीचा रहना नहीं चाहता और उनसे बराबरीकी शर्त पर ही व्यवहार करना चाहता हूँ । 'विश्वासपात्र' शब्दका प्रयोग करके मैंने अपना अहिंसा धर्म बताया है और यह जताकर अभयदान दिया है कि उनको और उनकी जातिको मेरी ओरसे धोखा दिये जानेकी कोई सम्भावना नहीं है । इस प्रकार यद्यपि मेरे हस्ताक्षरों के साथ लगाये गये विशेषण रूढ़ि के अनुसार हैं फिर भी वे सब विचारपूर्वक लिखे गये हैं और सार्थक हैं ।