पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/४२४

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



४००
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

(२) इसे प्रकृतिकी चेतावनी ही समझना चाहिए कि जब-जब सामूहिक सविनय अवज्ञाका श्रीगणेश होने को हुआ तब-तब जनता द्वारा हिंसापूर्ण उपद्रव किये गये । इससे यह पता चलता है कि अभी देशमें सामूहिक सविनय अवज्ञाके लिए पर्याप्त अहिंसापूर्ण वातावरण नहीं है । सबसे ताजा उदाहरण गोरखपुरके समीप चौरीचौराकी दुःखद और भयानक घटनाएँ हैं । कांग्रेस कार्यसमिति निर्णय करती है कि बारडोली तथा अन्य स्थानों पर जो सामूहिक सविनय अवज्ञा शुरू करनेका विचार था उसे मुल्तवी रखा जाये। साथ ही वह स्थानीय कांग्रेस कमेटियोंको आदेश देती है कि वे किसानोंको सरकारका बकाया भूमिकर तथा अन्य कर जिन्हें सामूहिक सविनय अवज्ञाके विचारसे रोक रखा गया था, तत्काल अदा कर देनेकी सलाह दें और स्वयं उन्हें यह निर्देश देती है कि वे आक्रामक ढंगकी अन्य सभी तैयारियोंको मुल्तवी कर दें ।

(३) सामूहिक सविनय अवज्ञा तबतक मुल्तवी रहेगी जबतक कि वातावरण के इतने अहिंसापूर्ण होने का भरोसा नहीं हो जाता कि गोरखपुरके नृशंस कार्य और १७ नवम्बरको बम्बई में या १८ जनवरीको मद्रासमें की गई गुंडासर्दी-जैसी घटनाएँ फिर घटित न होंगी ।

(४) शान्तिपूर्ण वातावरण तैयार करनेकी दृष्टिसे कार्य समिति सलाह देती है कि अन्यथा निर्देश मिलनेतक सभी कांग्रेस संगठन उन सारी कार्यवाहियोंको बन्द रखें जो गिरफ्तार होने और जेल भेजे जानेके लिए विशेष रूपसे की जानेवाली थीं। कांग्रेसकी साधारण कार्यवाहियाँ जारी रखी जा सकती हैं और इनमें जहाँ वातावरण पूर्ण रूपसे शान्तिमय हो, वहाँ स्वेच्छाप्रेरित हड़तालें भी शामिल हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए धरना देना एकदम बन्द रखा जाये । अलबत्ता सद्भावपूर्ण और शराबकी दुकानोंपर आनेवालोंको शराब पीने के दोषोंसे आगाह करनेके शान्तिपूर्ण उद्देश्य से धरना जारी रखा जा सकता है; किन्तु इन धरनोंका संचालन ऐसे ही लोगोंके हाथमें होना चाहिए जिन्हें सभी सदाचारी व्यक्ति जानते- मानते हों और जिन्हें सम्बन्धित कांग्रेस कमेटियोंने इस कामके लिए विशेषरूपसे चुना हो ।

(५) कार्य समिति सलाह देती है कि अन्यथा निर्देश प्राप्त होनेतक स्वयंसेवकों के किसी भी प्रकार के जलूस निकालना और केवल प्रतिबन्ध सम्बन्धी विज्ञप्तियोंकी अवहेलनाके लिए सार्वजनिक सभाएँ करना बन्द कर दिया जाय । ये आदेश कांग्रेस कमेटीकी तथा अन्य समितियोंकी सामान्य बैठकोंके सम्बन्धमें अथवा ऐसी सार्वजनिक सभाओं के सम्बन्धमें जो कांग्रेसके रोजमर्राके कामसे ताल्लुक रखती हों, लागू नहीं होंगे।

(६) चूँकि कार्य समिति के पास शिकायतें आई हैं कि किसान लोग जमींदारोंको लगान अदा नहीं कर रहे हैं, वह कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं और संगठनोंको सलाह देती है कि वे किसानोंको बतायें कि इस तरह लगान रोकना कांग्रेसके प्रस्तावोंके प्रतिकूल है और देशके बड़े से बड़े हितोंके लिए घातक है ।

(७) कार्य समिति जमींदारोंको आश्वासन देती है कि कांग्रेस आन्दोलन किसी भी तरह उनके कानूनी हकोंपर चोट करने के उद्देश्यसे नहीं चलाया गया है । जहाँ रयतको वास्तवमें शिकायतें हैं, वहाँ भी समितिकी इच्छा है कि परस्पर सलाह-मशविरे द्वारा और बीच-बचावकी प्रणालीका सहारा लेकर राहत प्राप्त की जाये ।