पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/४२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

छात्रोंके साथ एकाकार कर दिया है । उनके अनेक निष्ठावान विद्यार्थी हैं जिनका जीवन उनके सम्पर्कमें आकर एकदम बदल गया है । वे अहिंसाके पथपर बहुत घूम-फिरकर आये हैं और अब बिलकुल पूरी तरह उसमें विश्वास करते हैं । वे अपनी और अपने छात्रोंकी सारी शक्ति स्वदेशीके रचनात्मक पक्षके विकासमें लगा रहे हैं और बनारसमें एक आदर्श संस्थाका संचालन कर रहे हैं । उन्होंने अपनी जरूरतें जितनी कम की जा सकती हैं, उतनी कम कर ली हैं और अपने विद्यार्थियोंके साथ संस्थाके रोजमर्राके काम और सुविधायें हाथ बँटाते हैं । सुविधाके नामपर वहाँ विद्यार्थियोंको मिलनेवाला आचार्य कृपलानीका प्रेरक सम्पर्क ही समझिए । अभीतक यह नहीं मालूम हो पाया है कि आचार्य कृपलानी और उनके १५ छात्र गिरफ्तार किस लिए किये गये हैं । मेरा खयाल है कि यह स्वयंसेवककी तरह काम करनेका परिणाम ही होगा क्योंकि वे ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जो जोखिमको देखकर डर जायें । कुछ भी हो इस तरह उन्होंने ऐसी अन्य संस्थाओंके लिए मार्गदर्शन ही किया है । अधिकसे-अधिक पवित्र मनके व्यक्ति स्वयंसेवक बनें और जेल जायें । इस सम्बन्धमें कार्यकारिणीकी हिदायतोंका अक्षरशः पालन किया जाना चाहिए । जिनके मन बिलकुल स्वच्छ हैं, सविनय अवज्ञाकारियोंके रूपमें वे ही जेल जाने के योग्य हैं, और कोई नहीं । यदि हमसे इस सम्बन्धमें भूल हुई हो तो अब हम स्वयंसेवक भरती करते हुए अधिक से अधिक बारीकी और सख्तीसे काम लें । मैं पूरी तरह यह आशा करता हूँ कि जिन लोगोंके मन साफ नहीं हैं अथवा जो स्वदेशी, अहिंसा या असहयोगके किसी ऐसे ही मार्मिक तत्त्वमें विश्वास नहीं करते, वे स्वयंसेवककी तरह भरती होनेके लिए प्रार्थनापत्र भी नहीं देंगे; स्वयंसेवक न बनकर वे सेवा ही करेंगे ।

गुप्तियाँ

मुझे यह सुनकर दुःख हुआ कि स्वयंसेवकों को चुनने के सवालपर सलाह-मशविरे के समय कलकत्तामें कुछ स्थानोंपर गुप्तियाँ और इसी तरहके दूसरे हथियार मिले । अहिंसा के सिपाहीको तलवार या लाठी नहीं रखनी चाहिए । जब अहिंसा हमारा हथियार है तो हमें हिंसा के सारे प्रतीकोंको त्याग देना चाहिए । छोटानी मियाँने' अपने घोषणा-पत्र में यह बिलकुल ठीक कहा है कि हिंसा तो हमें मनमें भी नहीं लानी है ।

आयरलैंड और भारत

लॉर्ड रीडिंगने हमपर आयरलैंड के मार्गपर जानेका आरोप लगाया है । हम उस अद्भुत राष्ट्र के बारेमें थोड़ा विचार करें । आयरलैंडको आज जो अधूरी-सी स्वाधीनता मिली है वह आयरिश लोगों द्वारा दूसरोंकी खून-खराबीके कारण नहीं मिली है; बल्कि उन्होंने स्वेच्छासे अपना जो मनों खून बहाया है यह उसीका फल है । पाठक मेरी इस बातपर विश्वास करें । इंग्लैंडको अपनी इच्छा के विपरीत उनके सम्मुख जो प्रस्ताव रखना पड़ा है उसका कारण यह भय नहीं कि उसे और अधिक जानें गँवानी

१. बम्बईके तत्कालीन राष्ट्रवादी मुसलमान नेता ।