पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/४१७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३९३
घरमें हिंसा

घटनाओं द्वारा दी गई इस चेतावनीपर जोर दिया है कि हमें अपने प्रतिपक्षियोंकी अपेक्षा अपनेसे ही अधिक सावधानी बरतनी होगी । यहाँपर हम उनका पत्र दे रहे हैं । यह स्पष्ट है कि पत्र न तो प्रकाशनके लिए लिखा गया है, न शाबाशी पानेके लिए। यह आत्मस्वीकृति और आलोचना दोनों ही है। डॉ० राजन् लिखते हैं :

जी० वी० कृपानिधि नामक हमारे एक तरुण मित्र हैं। उन्होंने इस मासकी १५ तारीखको मद्रास में हुए हड़ताल सम्बन्धी उपद्रवोंके बारेमें 'हमारे लिए शर्मनाक' शीर्षक से a'स्वराज्य 'में सम्पादकीय लिखा है। श्री प्रकाशम् अनुपस्थित थे । वे बम्बई में थे । हड़तालसे एक दिन पूर्व मैंने संगठनकर्ताओंसे यह बात स्वीकार करवा ली थी कि स्वयंसेवकोंसे पुलिसका काम लिया जाये और वे उन लोगोंकी सुरक्षामें रहें जिन्होंने अपनी दुकानें खोल रखी हों और जो युवराजको देखने गये हों । किन्तु बादमें श्री प्रकाशमने जोर दिया कि वे घर के भीतर रहें। उस लेखकी कटु आलोचना की गई, इसलिए मने यह अपना कर्त्तव्य समझा कि मैं उस सम्पादकीय लेखका समर्थन करूँ । उस लेखकी एक प्रति पढ़नेके लिए आपके पास भेज रहा हूँ ।
अभी ठीक दो दिन पहले मद्रास जिला कांग्रेसके अध्यक्ष श्री सिंगारावेलु चेट्टियारने मद्रास समुद्र-तटपर एक सार्वजनिक सभा की। प्रथम प्रस्ताव में सफल हड़ताल के लिए मद्रासके नागरिकों को बधाई दी गई और दूसरे प्रस्तावमें उस दिन की गई ज्यादतियोंकी निन्दा की गई। आपको भेजे गये मेरे पत्रकी आपने जो आलोचना की थी उससे श्री प्रकाशम् सहमत नहीं थे । उन्होंने अपने भाषण - में बताया कि मेरे पत्रसे आपको पर्याप्त रूपसे ऐसी सामग्री उपलब्ध नहीं हुई थी कि आप उससे ऐसा निष्कर्ष निकालें जैसा कि आपने निकाला है। मैंने श्री सिंगारावेलुको तार देकर उक्त निन्द्य सभा न करनेके लिए कहा, किन्तु स्पष्टतः मालूम पड़ता है कि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। यह सचमुच अत्यन्त खेदकी बात है कि मैं अपने असहयोगी भाइयोंको यह प्रेरणा देनेके लिए पर्याप्त रूपसे समर्थ नहीं हूँ कि वे अपनी गलतियों को पहचानें। वे तो इस सफलतापर फूले नहीं समा रहे हैं कि मद्रासको जनताने हड़तालके सम्बन्ध में आपको दिये गये वचनका पूरी तरह पालन किया है। फिर भी यह क्रूर तथ्य सामने है कि हिंसा और अनुचित बल-प्रयोगने अहिंसक असहयोगकी दृष्टिसे हड़तालको असफल बना दिया है। जबतक हमें अपने ही लोगों की हिंसात्मक प्रवृत्तिके खिलाफ का यह संघर्ष चलाना पड़ रहा है तबतक किसीको भी सविनय प्रतिरोधको दिशामें एक भी कदम बढ़ाने में हिचकिचाहट होनी ही चाहिए। मैंने अपने दलकी कमजोरियोंके बारेमें अक्सर स्थानीय पत्रोंमें लिखा है और यह तथ्य सामने रखा है कि हमारे कुछ असहयोगी भाई अहिंसा में उतना विश्वास नहीं रखते जितना कि उन्हें रखना चाहिए।