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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मोहन-मन्त्र से अपना पीछा छुड़ा लें तो हम देखेंगे कि " कानून एवं व्यवस्था" के प्रशा- सकोंने अपने कृत्योंसे भारत के लोगोंके जीवन और सम्पत्तिको सर्वथा अरक्षित बना दिया है । आम लोग तथा यहाँतक कि पार्षदगण भी " शब्दों और मुहावरोंके अत्याचार" के अधीन नहीं रहना चाहते और न सरकारकी नितान्त अवास्तविक स्थिति से धोखमें आना चाहते हैं; यह इस बातका संकेत है कि अब कैसा समय आ गया है । असह- योगमें व्यामोहको काटने की बहुत जबरदस्त शक्ति है, और हम शीघ्र ही देखेंगे कि जनता और सरकार दोनों अबतक अवास्तविकताओंके जिस जालमें रहती आई है उससे उन्हें बाहर निकलना होगा और ठोस वास्तविकताओंका मुकाबला करना होगा ।

[अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ९-२-१९२२

१५२. घरमें हिंसा

डॉ० राजन् तथा डॉ० शास्त्री मद्रास के सर्वोत्कृष्ट कार्यकर्त्ताओंमें से हैं । मद्रास सरकारने, कह सकते हैं, शराबखोरीको बढ़ावा देनेकी अपनी नीति की रक्षाके लिए उन दोनोंको दो अन्य व्यक्तियोंके साथ गिरफ्तार कर लिया है । मद्रास सरकारने कांग्रेस तथा खिलाफत संगठनोंको छिन्न-भिन्न करने के लिए एक नई प्रणाली ढूंढ निकाली है । इस तरह वह दण्डविधि संशोधन अधिनियम तथा राजद्रोहात्मक सभा अधिनियमका सहारा लिये बिना ही अपना कार्य कर रही है । वह संयुक्त प्रान्त और बंगालकी सरकारोंके मुकाबले ज्यादा सफल रहेगी । वह उन अधिनियमोंको अमलमें लानेकी बदनामी से बच जायेगी, जो देश-भरमें आलोचनाका विषय बन गये हैं । और मैंने सुना है कि कमसे कम मद्रासमें तो लॉर्ड विलिंग्डनकी अपेक्षा सर त्यागराज चेट्टी ही, जो बड़े दुर्धर्ष व्यक्ति हैं, उक्त संगठनोंको छिन्न-भिन्न करनेपर अधिक तुले हुए हैं । किन्तु असहयोगी तो इन कार्रवाइयोंके खिलाफ हैं, व्यक्तियोंके नहीं; अतः उनके लिए इनके कर्त्ता चाहे भारतीय हों या अंग्रेज, एक ही बात है । यह मेरा निश्चित विश्वास है कि स्वराज्य सरकारके अधीन काम करनेवाले अंग्रेज भी भारतीयों- के समान ही अच्छे होंगे । और हम दुःख के साथ प्रत्यक्ष देखते हैं कि हमारे कुछ देश- वासी, वर्तमान प्रणालीके अन्तर्गत, अंग्रेजोंके समान ही इस दोषपूर्ण प्रशासन के कुशल प्रशासक बन गये हैं । इसलिए व्यक्तियोंकी ओर ध्यान दिये बिना हमें प्रणालीके विरुद्ध संघर्ष करना है। हम चार पीढ़ियोंसे दोहरे कानूनके शिकार बने हुए हैं-एक कानून हमारे लिए है और दूसरा अंग्रेजोंके लिए; इसलिए हम स्वयं इसके दोषी नहीं हो सकते । इसलिए सर त्यागराज चेट्टीके शासनमें भी मद्रासकी परीक्षा तथा आत्मशुद्धि होनी चाहिए ।

यदि हम अपने प्रति सच्चे हैं तो हम अपने सभी प्रतिपक्षियोंके साथ सफलता- पूर्वक निबट सकते हैं, चाहे वे हमारे अपने देशभाई हों या अंग्रेज । किन्तु डॉ० राजन्- की गिरफ्तारी के चार दिन पूर्व उनका एक पत्र मिला था । उसमें उन्होंने हालकी